इन राज्यों से आई सुंडी, कृषि अधिकारियों ने बताया, कैसे करें नियंत्रण ?

ग्राम सेतु न्यूज. हनुमानगढ.

बीटी कपास में गुलाबी सूंडी कीट के प्रकोप के मदेनजर प्रभावी प्रबंधन एवं किसानों को आर्थिक क्षति से बचाने के लिए राशि सीड्स के सौजन्य से कृषि विभाग द्वारा बीटी कपास उत्पादन तकनीक एवं गुलाबी सुंड़ी नियंत्रण कार्यशाला का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता केन्द्रीय अनुसंधान केन्द्र सिरसा से डॉ. ऋषि कुमार थे। संयुक्त निदेशक कृषि दानाराम गोदारा, उपनिदेशक कृषि डॉ. मिलिद सिंह, उपनिदेशक आत्मा परियोजना सुभाष चन्द्र डूडी, बीआर बाकोलिया, साहबराम गोदारा, सुभाष चन्द्र सरवा, कृषि वैज्ञानिक रंगपाल सिंह दांगी, जगदीश दूधवाल, डॉ. जीएस तूर, उपनिदेशक उद्यान साहबराम गोदारा, राशि सीड्स के एनके पूनिया, कृषि आदान विक्रेता संघ जिलाध्यक्ष बालकृष्ण गोल्याण ने शिरकत की।

कृषि संयुक्त निदेशक दानाराम गोदारा ने बताया कि गुलाबी सुंड़ी, पंजाब व हरियाणा में आ चुकी है और राजस्थान के विशेष कपास के गढ़ कहे जाने वाले हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर बॉर्डर ऐरिया पर होने के कारण यहां सावधानी अधिक बरतने की आवश्यकता बताई। समय-समय पर कपास की फसल में कई तरह के कीट रोगों का प्रकोप होता है। जिससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति होती है। अभी राजस्थान के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ ज़िले में बीटी कपास में गुलाबी सूंडी कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है। जिसको देखते हुए कृषि पर्यवेक्षकों को प्रभावी प्रबंधन एवं कृषकों को आर्थिक क्षति से बचाने के लिए विशेष निर्देश दिए है। केन्द्रीय अनुसंधान केन्द्र सिरसा से डॉ. ऋषि कुमार ने गुलाबी सुड़ी के प्रकोप की जानकारी मालूम करने के लिए प्रशिक्षण में उपस्थित किसानों, विभागीय कर्मचारियों, कम्पनी प्रतिनिधियों को बताया कि प्रत्येक एक बीघा में दो फेरोमोन ट्रैप लगाए एवं र्प्रतिनिधि निरिक्षण के दौरान पांच या पांच से अधिक प्रोढ़ फेरोमोन ट्रैप में आते है तो गुलाबी सुड़ी का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से उपर जा रहा है जिस हेतु विभागीय सिफारिश अनुसार आवश्यक कीटनाशकों का छिड़काव करे जिसमें सर्वप्रथम नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए, ताकि गुलाबी सुड़ी के नियत्रण के बेहतर परिणाम मिल सके। इसके साथ साथ बीटी कपास में फुल गुड्डियों का नियमित रूप से अवलोकन करे एवं जिस फुल की पखुड़िया बंद पाई जाती है तो उसमें निश्चित रूप से गुलाबी सुड़ी के लारवा पाये जाएंगे। इसलिए बंद पखुड़ियों के आधार पर भी गुलाबी सुड़ी के प्रकोप का अनुमान लगाया जा सकता है एवं आवश्यक होने पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। डॉ. ऋषि कुमार ने बताया कि कोई भी कीटनाशक किसी भी दो या दो से अधिक कीटनाशकों का मिश्रण कर छिड़काव नही करना चाहिए, क्योकि इनके मिश्रण से रसायनिक अभिक्रिया होने के कारण प्रभावी परिणाम नही मिलते है बल्कि फसल खराबे होने की संभावना भी रहती है। संयुक्त निदेशक कृषि दानाराम गोदारा व सहायक निदेशक कृषि बीआर बाकोलिया ने आभार व्यक्त किया।
ये हैं पहचान के तरीके
यह एक प्रौढ़ गहरे स्लेटी चमकीले रंग का 8 से 9 मि.मी. आकार वाला फुर्तीला कीट है। अंडे हल्के गुलाबी व बैंगनी रंग की झलक लिए होते हैं, जो कि प्रायः नई विकसित पत्तियों व कलियों पर पाए जाते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में लटों का रंग सफ़ेद होता है, जो कि बाद में गुलाबी हो जाते हैं। पूर्ण विकसित लटों की लम्बाई 10 से 12 मि.मी. होती है।
यूं करें उपचार:
किसान नर पतंगों को नष्ट करने हेतु लिंग आकर्षण जाल (फेरोमोन ट्रैप) 5 प्रति हेक्टेयर लगाएँ। ऐसे सभी फूल जिनकी पंखुडियाँ ऊपर से चिपकी हो उन्हें हाथ से तोड़कर उनके अंदर मौजूद गुलाबी सूँड़ियों को नष्ट किया जा सकता है। यह प्रक्रिया सप्ताह में कम से कम एक बार अवश्य करें। किसान कपास में गुलाबी सुंडी कीट के नियंत्रण के लिए फसल की बुआई के 60 दिनों बाद नीम के बीजों का अर्क 5 प्रतिशत $ नीम का तेल ( 5 मिली॰/ली) को मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

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