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हनुमानगढ़ की राजनीति में दमदार दखल रखने वाले वरिष्ठ नेता भाई जसपाल सिंह से जुड़े संस्मरणों का खजाना है लोगों के पास। उनके आसामयिक निधन के बाद शोक जताने वालों का तांता लगा हुआ है। इस दौरान लोग जसपाल सिंह संधू के साथ बिताए पलों को नम आंखों से याद करते नजर आ रहे हैं। सबका एक ही कहना है कि जसपाल सिंह जैसा कोई नहीं। स्थानीय राजनीति में उनकी अपनी जगह थी जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। यारों के लिए यार। पीड़ितों के लिए मसीहा। इंसान को परखने के लिए पारखी नजर रखने वाला जन नेता।
वरिष्ठ पत्रकार अमरपाल सिंह वर्मा पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और जसपाल सिंह के संबंधों की प्रगाढ़ता को याद करते हैं। कहते हैं, ‘साल याद नहीं है, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह का हनुमानगढ़ में कार्यक्रम था। मैं कार्यक्रम को कवर रहा था। वीपी सिंह ने अपने संबोधन में जसपाल सिंह की खूबियां गिनाते हुए कहाकि मंडल आयोग की सिफारिशों के कारण मेरे कई अपने मुझसे दूर हो गए। कई साथी छोड़कर चले गए। लेकिन जसपाल सिंह ऐसा बंदा है जो पहले भी साथ था और आज भी साथ है।’
करीब तीन दशक से जसपाल सिंह के करीबी रहे सितेंद्र बिनोचा ‘ग्राम सेतु’ से कहते हैं ‘भाई जसपाल सिंह जैसा लीडर कभी कभार पैदा होते हैं। उनके जैसा इंसान विरला ही होता है।’ सितेंद्र बिनोचा के मुताबिक, भाई जसपाल सिंह की बड़ी खासियत है कि वे नजरों की भाषा जानते थे। पहली नजर में वे लोगों को पहचान जाते थे। अपने लोगों के लिए समर्पण का पूरा ध्यान रखते। पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते थे। इसके कई उदाहरण हैं। इसलिए वे जन नेता थे।
पूर्व सरपंच लियाकत अली सरदार जसपाल सिंह को ‘यारों का यार’ बताते हैं। लियाकत अली ‘ग्राम सेतु’ से कहते हैं, ‘करीब 15 साल तक हम रोजाना 24 घंटे में 20 घंटे साथ गुजारते थे। मैं, जसपाल सिंह, सुरेश शर्मा और कौर सिंह कमरानी। चारों की यारी चर्चित थी। साथ खाना, साथ रहना। भले जसपाल सिंह सत्ता की राजनीति से दूर रहे लेकिन संगठनों में उनकी हमेशा तूती बोलती थी। वीपी सिंह, मुफ्ती मोहम्मद सईद, अरुण सिंह सरीखे बड़े नेताओं के साथ उनके आत्मीय रिश्ते थे। सचमुच जसपाल सिंह हीरा थे हीरा। ऐसा सरल इंसान होना मुश्किल है।’