ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय खोलने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे प्राइवेट कॉलेज एसोसियेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष तरुण विजय को शहर की विभिन्न संस्थाए निरंतर समर्थन दे रही है और वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय स्वीकृत करवाने की मांग को मजबूत कर रही है। टैक्स बार एसोसिएशन ने जिलाध्यक्ष रोहित अग्रवाल के नेतृत्व में अभियान को समर्थन दिया और मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड भरे। तरूण विजय ने कहा कि वर्तमान में हमारे हनुमानगढ़ में संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के पास कक्षा 8 के बाद कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। इस स्थिति के कारण छात्रों को उनकी शिक्षा अधूरी छोड़ने या दूसरे प्राइवेट विद्यालयों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे उनकी शिक्षा निरंतरता में बाधा आती है। राज्य सरकार को संवेदनशीलता का परिचय देते हुए छात्रहित में विद्यालय को वरिष्ठ उपाध्याय स्तर तक क्रमोन्नत करना चाहिए। टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में हनुमानगढ़ के लिए तरुण विजय के महत्वपूर्ण योगदान को सराहा है। उन्होंने कहा कि तरुण विजय के नेतृत्व में हनुमानगढ़ में डाइट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) की स्थापना की गई, जिसके लिए उन्होंने खूब संघर्ष किया। रोहित अग्रवाल ने बताया कि जब राज्य सरकार ने राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय, हनुमानगढ़ जंक्शन को बंद करने का आदेश जारी किया, तब तरुण विजय ने संघर्ष समिति का गठन किया और उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य सरकार ने इस विद्यालय को पुनः बहाल कर दिया।
उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि तरुण विजय के नेतृत्व में संस्कृत विद्यालय को वरिष्ठ उपाध्याय स्तर तक कर्माेन्नत करने के लिए टैक्स बार एसोशिएशन एकजुट होकर मजबूती से आपके साथ खड़ी है। आपके निरंतर प्रयासों से हमें आपसे शिक्षा के क्षेत्र में और भी सुधार की उम्मीद है। वरिष्ठ अधिवक्ता ओमप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि विद्यालय में अधिकांश छात्र निर्धन और गरीब परिवारों से आते हैं। उच्च प्राथमिक शिक्षा के बाद इन छात्रों के पास प्राइवेट स्कूलों में महंगी शिक्षा प्राप्त करने के लिए संसाधनों की कमी होती है। इस कारण उन्हें अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ती है या मनमारकर संस्कृत विषय छोड़ना पड़ता है, जो उनके भविष्य के लिए प्रतिकूल हो सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी गर्ग व एडवोकेट बीड़ी जिंदल ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति, सभ्यता, और धार्मिक धरोहर की मूल भाषा है। इसे बचाए रखने और अगली पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराने के लिए संस्कृत का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है जो संस्कृत विद्यालय के बिना संभव नहीं है। इस मोके पर सीए बबीता, एडवोकेट महेश चाचाण, सीए रोहित मूंदडा, सीए अंकुश सिंगला सहित अन्य अधिवक्ता व सीए मौजूद थे।