वक्फ संपत्तियों पर खतरा! राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग, हनुमानगढ़ में बढ़ा असंतोष

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ग्राम सेतु डॉट कॉम.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हनुमानगढ़ शाखा ने वक्फ अधिनियम 1995 में हाल ही में किए गए संशोधनों को भेदभावपूर्ण करार देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भेजा है। इस ज्ञापन में संशोधनों को भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए उन्हें तुरंत निरस्त करने की मांग की गई है।
ज्ञापन में बताया गया है कि इन संशोधनों से मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, सांस्कृतिक और संस्थागत अधिकारों पर सीधा आघात हुआ है। वक्फ संपत्तियों को जो संरक्षण पहले प्राप्त था, वह अब समाप्त हो गया है, जबकि अन्य धार्मिक समुदायों, जैसे कि हिंदू, सिख, बौद्ध और ईसाई को अभी भी ऐसी संपत्तियों पर समान संरक्षण प्राप्त है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म की स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक संस्थानों का संचालन) और 29 (सांस्कृतिक अधिकार) का उल्लंघन करता है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन नहीं कर रहा है, तो उसे वक्फ के रूप में संपत्ति दान करने का अधिकार नहीं है। यह नियम व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक आस्था के अधिकार का हनन करता है। इसके अतिरिक्त, वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के सदस्यों के लिए मुस्लिम होने की शर्त को हटाना भी समुदाय के आत्म-प्रशासन के अधिकार को समाप्त करता है। बोर्ड ने यह भी चिंता जताई है कि अब वक्फ संपत्तियों पर विवाद की स्थिति में निर्णय अधिकार नामित अधिकारी को सौंप दिया गया है, जिससे सरकारी अतिक्रमण की स्थिति में सरकार स्वयं संपत्ति की मालिक बन सकती है। साथ ही, वक्फ बोर्ड के चुनाव को समाप्त कर नामांकन प्रणाली लागू करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध बताया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि ये सभी संशोधन मुस्लिम समुदाय को अपने धार्मिक संस्थानों की स्थापना, संचालन और संरक्षण के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। इसीलिए बोर्ड ने राष्ट्रपति से अपील की है कि लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित इन संशोधनों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
ज्ञापन देने वालों में एडवोकेट मोहम्मद मुस्ताक जोईया, जाकिर हुसैन कायमखानी, कन्वीनर इशाक चायनाण, शाहवरयाय चिश्ती, अब्बास अली, शाहनवाज कमरानी, गुलाम किबरिया, मोहम्मद जमान, अरशद अली, शब्बीर मोहम्मद, शहजाद हुसैन, इरशाद हुसैन, रफीक लोदी सहित क्षेत्र के सैकड़ों मुस्लिम नागरिकों द्वारा हस्ताक्षरित कर समर्थन के साथ भेजा गया है।

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