चार राज्यों में फिर आंदोलन की गूंज, जानिए…क्यों ?

ग्राम सेतु ब्यूरो.
चार राज्य। चार जातियां। दो मांगों पर जोर। पहली मांग, आरक्षण की सीमा को हटाकर इसे 80 फीसद किया जाए और दूसरी मांग, संसद में संविधान अमेंडमेंट करते हुए 1931 की जनगणना के आधार पर ‘जिसकी जितनी संख्या उसकी शिक्षा व शासकीय सेवाओं में उतनी हिस्सेदारी’ सुनिश्चित हो। महाराष्ट्र सदन में किसान नेता राकेश टिकैत की अध्यक्षता में हुई बैठक में राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा व गुजरात के जाट, मराठा, गुर्जर और पाटीदार समुदाय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील कहते हैं, ‘केंद्र सरकार जातिगत जनगणना की घोषणा करे। साल 2011 के जनगणना रिपोर्ट के आंकड़े जारी करने में क्यों हिचकिचा रही है ? हम इन मांगों को लेकर चारों राज्यों में जाएंगे। लोगों को जगाएंगे। इससे होने वाले फायदे बताएंगे।’
किसान नेता राकेश टिकैत के मुताबिक, जल्दी ही संयुक्त संघर्ष समिति गठित की जाएगी। समन्वय समिति का गठन होगा, कानूनी सलाहकार बनाए जाएंगे इसमें पूर्व न्यायाधीशों को शामिल किया जाएगा।

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