मोदी सरकार ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा, क्यों बोले सांसद कुलदीप इंदौरा ?

ग्राम सेतु ब्यूरो.
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ के सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुलदीप इंदौरा ने केन्द्र सरकार के ताजा फैसले को किसानों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा करार दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र ने 19 अगस्त से कपास (नरमा) पर लगाया गया 11 प्रतिशत आयात शुल्क हटा दिया है, जो इस समय किसानों की मेहनत और उम्मीदों पर सीधी चोट है।
इंदौरा ने कहा कि इस बार श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले के किसानों की कपास की फसल अच्छी स्थिति में है। किसान कई मुश्किलों, लागत का बोझ, उत्पादन संकट और मंडियों में अनिश्चितता के बावजूद अपनी मेहनत की उपज से राहत की उम्मीद लगाए बैठे थे। ऐसे में केन्द्र सरकार का यह अचानक लिया गया फैसला उनके लिए गहरा झटका है।


सांसद ने कहा कि जब स्थानीय मंडियों में कपास का भाव स्थिर रखने और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की जरूरत थी, तब सरकार ने उल्टा रास्ता चुनते हुए विदेशों से आयात को खुली छूट दे दी। नतीजा यह होगा कि देशी कपास एमएसपी से भी नीचे के दामों पर बिकेगी और किसानों की उपज का सही दाम नहीं मिल पाएगा।


सांसद इंदौरा ने कहाकि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेता मंचों से किसानों के हितैषी होने का दावा करते हैं, लेकिन असल में फैसले ऐसे लिए जा रहे हैं, जिनसे किसान बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है। आयात शुल्क हटाना इस इलाके के मेहनतकश किसानों के साथ अन्याय है।


सांसद का कहना है कि केन्द्र का यह कदम न सिर्फ किसानों की रोज़ी-रोटी छीनने वाला है, बल्कि स्थानीय मंडियों, व्यापारियों और कपास उद्योग को भी गहरे संकट में डाल देगा। श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ेगा और किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम नहीं मिलेगा।


सांसद कुलदीप इंदौरा ने कहा है कि केन्द्र के इस फैसले के बाद सीसीआई को ही कपास के दामों में 1100 रुपए प्रति कैंडी की कटौती करनी पड़ी है। इससे किसान और सीसीआई दोनों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह फैसला अमेरिका के दबाव में और बड़ी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है। आज स्थिति यह आ गई है कि 28 एमएम कॉटन का दाम 55,100 रुपये, 29 एमएम का 55,400 रुपये और 30 एमएम का 55,700 रुपये प्रति कैंडी रह गया है।


सांसद के मुताबिक, केन्द्र के इस फैसले से अमेरिका और बड़े उद्योगपतियों को भारी लाभ मिलेगा, जबकि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ जिले सहित पूरे राजस्थान के मेहनतकश किसानों की हालत बिगड़ेगी। अच्छी फसल के बावजूद उनकी कपास के खरीददार ही बाजार में नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि 11 प्रतिशत आयात शुल्क व 5 प्रतिशत कृषि अवसंरचना विकास सेस हटाए जाने के बाद देश के उद्योगपति और बड़ी कंपनियाँ विदेशों में धड़ाधड़ कपास मंगवाने के सौदे कर रही हैं। उन्हें विदेश से मंगवाई जाने वाली कपास 16 प्रतिशत सस्ती पड़ती है। जितने भी समय के लिए यह आयात शुल्क हटा रहेगा, उतनी अवधि में विदेश से इतनी बड़ी मात्रा में देश में कपास आ जाएगी, कि यहां के किसान की कपास मंडियों में रुळने जैसी नौबत पैदा हो जाएगी।


सांसद ने कहाकि केन्द्र सरकार कुछ दिन कपास की सरकारी खरीद के नाम पर नौटंकी करेगी, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। इस पूरी प्रक्रिया में किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इलाके की मंडियों के व्यापारियों को भी इससे नुकसान होगा। मिलों की मांग न होने के कारण वे एमएसपी पर भी कपास खरीदने की स्थिति में नहीं रहेंगे, बोली में कम भावों पर आढ़तियों व किसानों के बीच अविश्वास की स्थिति पैदा होगी।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप इंदौरा ने कहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ होने के बावजूद भाजपा जिला परिषद के जोन नं. 22 के चुनाव में जिस करारे मुंह गिरी है, उसने साबित कर दिया है कि इस इलाके के किसान भाजपा से परेशान हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रिम्पी लूणा की जीत को केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार की इन्हीं किसान विरोधी नीतियों का किसानों की ओर से दिया गया करारा जवाब बताया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रमुख का चुनाव करवाने से भी भाजपा जानबूझ कर बच रही है। वह जानती है कि उसके पास जिला परिषद में बहुमत नहीं है और उसे मुंह की खानी पड़ेगी। इंदौरा ने कहा कि जिला प्रमुख के चुनाव को ऐन वक्त पर स्थगित करवाने के लिए ही भाजपा ने साजिश रचकर इस जोन की जिला परिषद डायरेक्टर से त्यागपत्र दिलवाया था।

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