





राजकुमार सोनी.
श्री गुरु अमर दास जी द्वारा सिख धर्म में लाए गए समाज सुधारों, विशेषकर लंगर प्रथा शुरू करने और छुआछूत आदि के खात्मे से जुड़ा है। आपने लंगर प्रथा शुरू कर सभी के लिए एक ‘पंगत’ में बैठकर भोजन करना अनिवार्य किया था। समाज सुधारक के रूप में सती-प्रथा के विरोध में आवाज उठाई, जिससे समाज से यह भेदभाव समाप्त हुआ और स्त्री जाति को इस अभिशाप से मुक्ति मिली। उन्होंने गोईंदवाल साहिब में सांझी बावली बनवाई, जिसका उद्देश्य किसी भी भेदभाव के बिना जल का उपयोग करना था। गोइंदवाल साहिब को अपना मुख्य केंद्र भी बनाया, जो आज भी एक महत्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थल है।

‘आनंद साहब’ जिसे परमानंद का गीत कहते हैं उसकी रचना भी गुरु अमरदासजी ने ही की थी। जो सिख धर्म की पहचान बन गया और उन्हें श्री गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किए गया। उन्होंने अपने गुरुआइ काल में महिलाओं और पुरुषों की शिक्षा व्यवस्था पर जोर दिया। ‘मंजी’ की स्थापना करने के साथ आपने पीरी और मीरी के मार्ग को अपनाने पर भी जोर दिया।

कहा जाता है कि बादशाह अकबर भी उनसे अनेक जटिल मुद्दों पर राय मशवरा किया करता था। उनके आग्रह पर ही अकबर ने हिंदुओं पर लगने वाले जजिया कर में छूट दी थी। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी और दूसरी पातशाही श्री गुरु अंगद देव जी के उपदेशों और वाणियों को संगत तक पहुंचाने का कार्य किया।






