ईआरसीपी, मोदी और गहलोत!

शंकर सोनी.
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर बड़ा अपडेट आया है। राजस्थान व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री केे बीच हुई बैठक में इसको मंजूरी देने की बात सामने आई है। दरअसल, परियोजना को दिलचस्प कहानी जुड़ी है। हम सभी जानते है पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्देश्य दक्षिण राजस्थान में चंबल और उसकी पार्वती और कालीसिंध सहायक नदियों में वर्षा ऋतु के दौरान उपलब्ध अतिरिक्त पानी का संरक्षण करना और राज्य के पानी की कमी वाले दक्षिण-पूर्वी हिस्से में इसका उपयोग करना है।
सबसे पहले वसुन्धरा राजे सरकार ने इस योजन को सन 2017-18 के राज्य बजट में लिया जिसे केंद्रीय जल आयोग ने 2017 में मंजूरी दे दी थी। चूंकि इस परियोजना का बजट राज्य के बस का नहीं था इसलिए राजे ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भी भेजा था। इसके बाद कांग्रेस सरकार भी इसके क्रियान्वयन के लिए बार-बार मांग करती रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी 2023 को दौसा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के पहले चरण का उद्घाटन करने आए तब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ईआरसीपी को पूर्ण करने का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री से ईआरसीपी को एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए सकारात्मक रूप से विचार करने की आशा व्यक्त की। गहलोत सरकार ने इस परियोजना पर काम शुरू करवाया तो केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय ने जुलाई 2022 में राजस्थान सरकार को एक नोटिस कर सूचित किया कि जब तक अंतर-राज्य परिषद के इसका समाधान होकर सलाहकार समिति द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता तब तक परियोजनाओं को लागू न किया जाए।
सियासत के जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत ने भी पैंतरा बदलते हुए जवाब दिया-‘पानी राज्य का है, जल निगम क्षेत्र हमारा है… हम अपने आवेदन का उपयोग कर रहे हैं और राज्य (परियोजना के लिए) 9,600 करोड़ रुपये के ऋण की तैयारी कर रहे हैं। आप कौन हैं?’
गहलोत ने प्रधान मंत्री से से मुखातिब होकर पूछा-‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछना चाहता हूं कि आपकी सरकार के मंत्रालय ने हमें क्यों लिखा है ?’
यही नहीं गहलोत ने जल को राज्य का विषय बताते हुए अपना इरादा व्यक्त किया कि मैं इसे नहीं रोकूंगा। गहलोत ने विषय से हटकर ईडी और सीबीआई का बेजा इस्तेमाल की शंका व्यक्त करते हुए यह भी कहा-‘वे इतने खतरनाक लोग हैं कि वे इसमें कमी लाएंगे और संक्षेप में, इसे भेज देंगे, वे कुछ भी कर सकते हैं। आप भी कुछ कर सकते हैं, ये काम आगे बढ़ता रहेगा।”
इसके बाद गहलोत ने 2023-24 के राज्य बजट में इस परियोजना के तहत विभिन्न कार्यों के लिए 13,000 करोड़ रुपये का प्रावधान की घोषणा कर दी। जनहितकारी होते हुए इस योजना के शुरू होने के पीछे एक कारण केंद्र और राज्य में अलग अलग सरकारों का होना भी रहा है।
इस वर्ष मोदी ने इस योजना से अधिकताम राजनीतिक लाभ लेने का सही मौका देखते हुए 12 फरवरी को दौसा में जनसभा को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश की पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना को जोड़कर नई परियोजना विकसित करने की बात कही। इस योजना को स्वीकार कर लिया गया है। राज्य की तरफ से केंद्र के आर्थिक सहयोग से लागू की जाने वाली योजना को लेकर एक बात स्पष्ट हैं कि यदि किसी राज्य और केंद्र में अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकारी है तो केंद्र के सहयोग से चलाई जानेवाली योजनाओं का सफल होना संभव नहीं है।
–लेखक नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता हैं

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