कृषि मंत्री किरोड़ीलाल ने किया फर्जीवाड़े का खुलासा, जानिए.. क्या बोले ?

ग्राम सेतु ब्यूरो.
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में शनिवार को कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने एक ऐसे फर्जीवाड़े का खुलासा किया, जिसने न सिर्फ स्थानीय किसानों को झकझोर दिया बल्कि कृषि विभाग और सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। यह मामला ग्वार बीज उत्पादन के नाम पर बड़े पैमाने पर हो रहे धोखे से जुड़ा है। मंत्री ने स्वयं मौके पर जाकर देखा कि जिस खेत को कंपनी ने ग्वार बीज उत्पादन के लिए लिया था, वहां असल में कपास (नरमा) की फसल लहलहा रही थी। इस खुलासे के बाद मंत्री ने इसे सीधे-सीधे किसानों के साथ छलावा बताते हुए सख्त कार्रवाई के संकेत दिए। कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि बाजार में किसान अपनी फसल 80 रुपये किलो तक बेचते हैं, लेकिन यही फसल जब ‘बीज’ के नाम पर जाती है तो इसकी कीमत 800 रुपये किलो तक वसूली जाती है। यानी वही उत्पाद, केवल ‘बीज’ का लेबल लगाकर दस गुना दाम पर किसानों को ही बेचा जा रहा है। मंत्री ने कहा, ‘यह डबल मार है। एक ओर किसान ठगा जा रहा है, दूसरी ओर सरकार की भी तिजोरी लूटी जा रही है। क्योंकि निजी कंपनियों को बीज उपलब्ध कराने के लिए सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है। यह सुनियोजित घोटाला है, जिसमें सरकारी फर्में भी शामिल हैं।’


यह मामला तब सामने आया जब गांव के कुछ किसानों ने कृषि मंत्री को जानकारी दी कि जिस खेत में ग्वार बीज उत्पादन का दावा किया जा रहा है, वहां असल में कोई और फसल खड़ी है। जानकारी मिलते ही किरोड़ी लाल मीणा अचानक खेत का दौरा करने पहुंचे। जैसे ही मंत्री खेत में पहुंचे, सच्चाई खुलकर सामने आ गई। खेत में ग्वार नहीं, बल्कि नरमा की फसल खड़ी थी। मंत्री स्वयं यह देखकर हैरान रह गए और मौके पर ही अधिकारियों को आड़े हाथों लिया।


इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस किसान के नाम पर कंपनी ने एग्रीमेंट किया था, वह व्यक्ति गांव का ही नहीं निकला। खेत मालिक रामस्वरूप ने साफ इनकार किया कि उसने बीज उत्पादन के लिए कंपनी से कोई समझौता किया हो। मंत्री ने इसे दस्तावेजी जालसाजी बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक खेत की बात नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में इस तरह की धांधली चल रही है। बीज कंपनियां किसानों के नाम का दुरुपयोग कर रही हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। कृषि मंत्री ने बताया कि बीज कंपनियों के लिए स्पष्ट नियम है कि वे खेत में फसल तैयार करके उसी से बीज उत्पादन करें। लेकिन हकीकत यह है कि कई कंपनियां बाजार से फसल खरीद लेती हैं और उसे बीज बताकर ऊंचे दामों पर बेचती हैं। उन्होंने कहा, ‘यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का मामला नहीं है। बीज की गुणवत्ता पर असर पड़ने से खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है। किसानों को नकली या घटिया बीज मिलने पर उनकी पूरी फसल चौपट हो सकती है।’ मंत्री ने सख्त शब्दों में कहा, ‘विभाग की लापरवाही ने ही इन फर्जी कंपनियों के हौसले बुलंद किए हैं। अगर अधिकारी समय पर जांच करते तो किसान इस धोखे का शिकार नहीं होते।’ उन्होंने कृषि विभाग के अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए साफ कर दिया कि जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा।


मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि यह कोई साधारण गड़बड़ी नहीं, बल्कि व्यापक स्तर का संगठित घोटाला है। इसमें कई स्तर पर मिलीभगत नजर आ रही है। इसलिए इसकी जांच किसी सक्षम एजेंसी जैसे एसओजी या सीबीआई से करवाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “पूरे नेटवर्क का खुलासा होना जरूरी है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह निजी कंपनी हो या सरकारी अफसर।’ घटना के बाद स्थानीय किसानों में आक्रोश है। किसानों का कहना है कि बीज कंपनियां वर्षों से इसी तरह का खेल खेल रही हैं और सरकार की लापरवाही ने इस गोरखधंधे को बढ़ावा दिया है। एक किसान ने कहा, ‘हम मेहनत से फसल उगाते हैं, लेकिन वही फसल हमें बीज बनाकर दस गुना दाम पर बेच दी जाती है। यह धोखा नहीं तो और क्या है?’


ग्वार बीज उत्पादन का यह मामला न केवल किसानों की मेहनत और जेब पर चोट है, बल्कि यह सरकारी तंत्र की नाकामी का आईना भी है। जब कंपनियां कागजों पर फर्जी एग्रीमेंट कर सकती हैं, खेत में गलत फसल दिखा सकती हैं और सरकारी सब्सिडी ले सकती हैं, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर यह सब किसके संरक्षण में चल रहा है।

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