किस मकसद से साइकिल पर दिल्ली रवाना हुआ छोटे कद का बड़ा आदमी ?

ग्राम सेतु डॉट कॉम.
राजस्थान में सूरतगढ़ के पास गांव है बिरवाना। यहीं के रहने वाले हैं शीशपाल लिंबा। उम्र 25 साल और कद साढ़े तीन फुट। शिक्षा लॉ ग्रेजुएट। यह तो इनका परिचय है जो अधूरा है। दरअसल, इनकी उपलब्धियां बेशुमार हैं। शीशपाल लिंबा पैरा ओलंपिक में एथलीट हैं और गोल्ड मैडलिस्ट भी। शीशपाल को अपनी मातृभाषा से बेहद लगाव है। राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता नहीं मिल पाने का मलाल इन्हें कचोटता रहता है। लिहाजा, दिव्यांग होने के बावजूद शीशपाल ने सरकार के बहाने आम जन को भी जगाने का निर्णय किया। माध्यम बनाया साइकिल यात्रा को। सूरतगढ़ से पैराओलंपियन शीशपाल लिंबा और समाजसेवी रामचंद्र ने एक अनोखी यात्रा शुरू की है। यात्रा के हनुमानगढ़ पहुंचने पर राजस्थानी भाषा प्रेमियों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। यात्रा का स्वागत पहले हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित चाणक्य क्लासेज के विद्यार्थियों ने पुष्प वर्षा कर किया। चाणक्य क्लासेज के डायरेक्टर राज तिवाडी ने बताया कि पहला तो विद्यार्थियों को राजस्थानी भाषा को मानता नहीं मिलने के कारण कई स्तरों पर नुकसान झेलना पड़ता है, जैसे राजस्थान का विद्यार्थी पंजाब ,गुजरात, बंगाल जैसे प्रदेशों में नौकरी के लिए फार्म भरता है तो उसे वहां की लोकल भाषा में पात्रता प्राप्त होना अनिवार्य होता है, लेकिन राजस्थान में दूसरे प्रदेशों से आने वाले विद्यार्थियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे यहां के विद्यार्थियों का हक लंबे समय से मारा जा रहा है, जो काफी नुकसानदेह स्थित है। दूसरा अपनी प्रदेश की भाषा को मान्यता होना गर्व का विषय तो होता ही है। पैरालंपिक लिंबा बताते हैं, ‘राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए जो संघर्ष उन्होंने शुरू किया है को भरपूर प्यार हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले के लोगो से मिल रहा है। अब लगने लगा है कि हम जरूर जीत जाएंगे।’


रयान कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संतोष राजपुरोहित ने बताया कि जिस तरीके से राजस्थान की विरासत का लंबे समय में नुकसान हुआ है उसी तरह राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिल पाने के कारण राजस्थान के साहित्य और प्राचीन विरासत को ख़त्म होते देखना खेद का विषय है, इस मौके पर स्वर्गीय ओम पुरोहित कागद को जिन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया, को याद करना चाहूंगा, जिनके नारा था ‘म्हारे मुंह पर तालो है और म्हारी जुबान रो ताळो खोळो’। कार्यक्रम का संचालन नागरिक सुरक्षा मंच के सचिव आशीष गौतम ने किया। इस मौके पर क्लासेज के सहनिदेशक शिव पारीक, संदीप चौधरी, जगदीश परिहार, कपिल सोनी, विनोद कश्यप, विनोद संखाल, हरजीत सिंह, महिपाल, मनोज कुमार,रवि भांभू,कर्मपाल, संगीता, परवीन आदि ने स्वागत किया।
लिंबा की पहल सबके लिए प्रेरणास्पद: शंकर सोनी
इसके बाद शिशपाल लिंबा टाउन स्थित शहीद स्मारक पहुंचे, जहां उन्होंने माल्यार्पण कर शहीदों को नमन किया। नागरिक सुरक्षा मंच के अध्यक्ष एडवोकेट शंकर सोनी ने बताया कि आजादी के आंदोलन में राजस्थान का बहुत बड़ा योगदान रहा है लेकिन दुख का विषय है कि आजादी के लंबे कालखंड के बावजूद राजस्थानी भाषा को उसकी सही जगह अभी तक नहीं मिल पाई है। शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद शिशपाल लंबा ने राजस्थानी भाषा के लिए जो रास्ता चुना है वह काबिले तारीफ है। आज यह स्मारक पर पहुंचे हैं और यहां स्थित शहीद लाइब्रेरी के विद्यार्थियों से इन्होंने बात की और उनका मार्गदर्शन किया है। लिंबा ने बताया कि जिस जमाने में लोग अपने घर के बुजुर्गों की फोटो भी संभाल कर नहीं रख पाते उसे जमाने में नागरिक सुरक्षा मंच और सहित स्मारक हनुमानगढ़ टाउन पूरे समाज के लिए आईने का काम कर रहे हैं। सैकड़ो क्रांतिकारी और उनके जीवन गाथाओं को दीवारों पर इस तरीके से दिखाना हमारे इतिहास को बचाकर रखने के लिए उठाया गया एक बेहतर कदम है। आज यहां आकर एक अद्भुत ऊर्जा महसूस कर रहा हूं और लगता है कि अपने मकसद में जरूर विजय हासिल करूंगा। इस मौके पर राइडर पंकज सिंह, खैरातीलाल, प्रदीप कुमार, राजेश सुथार, योगेश रतन, सुरेश, योगेश, मनीष, बबिता, पूजा, कीर्ति, नव्या इत्यादि मौजूद रहे।

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