ग्राम सेतु डेस्क.
राजस्थान सरकार पिछले पांच दिन से 50 लाख रुपए की व्यवस्था में जुटी है। लेकिन 50 लाख रुपए की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। परिणाम स्वरूप हनुमानगढ़ स्थित सिंचाई विभाग चीफ इंजीनियर का दफ्तर 4 दिसंबर को पांचवें दिन भी नहीं खोला जा सका। चीफ इंजीनियर कार्यालय बंद होने से न सिर्फ किसानों की परेशानी बढ़ गई है बल्कि चीफ इंजीनियर और उनके स्टाफ के बैठने की जगह तक नहीं मुहैया हो पा रही है। खास बात है कि इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर सरकार स्तर पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही।
यह है मामला
सादुलशहर निवासी जग्गूराम जल संसाधन विभाग में 22 जनवरी 1986 को अस्थायी बेलदार लगा था। विभाग ने जग्गूराम को 30 नवंबर 1988 को अवैध रूप से हटा दिया था। इसके बाद श्रम न्यायालय में वाद लगाया गया। श्रम न्यायालय बीकानेर ने 20 सितंबर 1994 को अवार्ड पारित करते हुए का कर्मचारी की सेवामुक्ति के आदेश को खारिज कर दिया। जल बह संसाधन विभाग ने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी। वहां भी वा फैसला जग्गूराम के पक्ष में हुआ। विभाग ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद जग्गूराम को ड्यूटी पर रख लिया, लेकिन चयनित वेतनमान, एरियर सहित अन्य परिलाभ नहीं दिए। इस पर श्रम न्यायालय ने 9 ते अप्रैल 2018 को भी 9-18-27 वर्ष की चयनित वेतनमान श्रृंखला का लाभ देने, 22 जनवरी 1988 से अर्द्ध स्थायी और 22 जनवरी म 1996 से स्थायी घोषित कर एरियर सहित अन्य परिलाभों का भुगतान 7.5 प्रतिशत ब्याज सहित करने के आदेश दिए थे। इस निर्णय की पालना 3 महीने में करनी थी। वेतन भत्तों की गणना के अनुसार जग्गूराम को विभाग ने 50 लाख रुपए देने हैं।
अफसरों के लिए नहीं बैठने की जगह
कार्यालय सीज होने के कारण जहां कर्मचारी बाहर धूप में बैठे रहते हैं वहीं परेशान किसानों का कहना है कि मुख्य अभियंता हनुमानगढ़ के कार्यालय से ही राजस्थान के 13 जिलों को पानी वितरित होता है और इंदिरा गांधी नहर, गंग नहर, भाखड़ा सिद्धमुख और खारा सिस्टम का रेगुलेशन इसी कार्यालय से बनता है और साथ ही भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड चंडीगढ़ की बैठक में राजस्थान का प्रतिनिधित्व हनुमानगढ़ मुख्य अभियंता ही करते हैं और इसी बैठक में ही राजस्थान के पानी का शेयर निर्धारित होता है ऐसे में मुख्य अभियंता का कार्यालय सीज होने से सभी काम रुक गए हैं और कई जिलों के किसान परेशान हो रहे हैं। किसान नेता रायसिंह चाहर, मनप्रीत सिंह, रघुवीर वर्मा, कांग्रेस सेवादल जिलाध्यक्ष अश्वनी पारीक आदि ने कहाकि जब सरकार 50 लाख रुपए जमा करने की हैसियत नहीं रखती तो फिर सरकार डींगें क्यों हांक रही है। दूसरी तरफ इस मामले में सिंचाई अधिकारियों का कहना है कि सिंचाई विभाग द्वारा कोर्ट में 11 लाख रुपए जमा करवा दिए गए हैं और विभाग द्वारा इतनी ही देनदारी निकलती है जबकि कोर्ट ने 50 लाख रुपए जमा करवाने के आदेश दिए थे। ऐसे में अब देखना यह है कि यह मामला कितना लंबा चलता है। फिलहाल अदालती मामले में किसान परेशान हो रहे हैं और सभी काम रुके हुए हैं।