ग्राम सेतु ब्यूरो.
श्रीगंगानगर में एक ऐसा संस्थान है, जो पिछले लगभग दो दशक से नशामुक्त समाज की स्थापना का बीड़ा उठाए हुए है और युवाओं की नशामुक्ति के लिए पूर्णतः निशुल्क सेवाएं दे रहा है। इस संस्थान में अब तक सैकड़ों लोगों को नशामुक्त कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ चुका है। हम बात कर रहे हैं जे.आर. टांटिया चेरिटेबल नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र की। इस संस्थान में आकर युवा नया जीवन पा रहे हैं।
हनुमानगढ़ रोड पर स्थित संचालित जे.आर. टांटिया चेरिटेबल नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र युवाओं को नशे की अंधी गलियों से निकाल कर जीवन का उजाला प्रदान कर रहा है। यहां भर्ती युवाओं से बात करने पर पता चलता है कि उनके साथ घर जैसा व्यवहार होता है और भोजन एवं आवास व्यवस्था भी घर जैसी ही मिलती है।
केंद्र के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी प्रयास रहता है। केंद्र में उपचार लेने वाले युवाओं एवं बड़ी उम्र के लोगों के समय सदुपयोग करने के लिए उन्हें हस्तकला के कार्य भी सिखाए जाते हैं। इसके तहत वे पुस्तकों की जिल्दसाजी, गुलदस्ता निर्माण आदि कार्य भी करते हैं। यहां सुबह से शाम तक युवाओं की दिनचर्या तय रहती है। सुबह सवेरे व्यायाम एवं योग से शुरू होने वाली दिनचर्या रात को सोेने तक पूर्व निर्धारित है। बीच में टीवी देखने, पुस्तकें पढ़ने, खेलने आदि के लिए सारी व्यवस्था केंद्र में है। सभी युवा आपस में मिल-जुलकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते हैं। विशेषज्ञों की काउंसलिंग, चिकित्सक जांच एवं उपचार नियमित होता है। समय-समय पर समाज में विशिष्ट पहचान रखने वाले लोगों को यहां लाकर उनके साथ बातचीत का अवसर भी मिलता है।
नशामुक्ति केंद्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. विकास सचदेवा बताते हैं, ‘सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग भारत सरकार से अधिकृत जे. आर. टांटिया चेरिटेबल नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में यह सारी सुविधा पूर्णतः निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है।’ केंद्र के प्रभारी एवं नशामुक्ति के विशेषज्ञ डॉ. मनीष बाघला कहते हैं कि नशे की लत के शिकार युवाओं को अपनत्व एवं स्नेह के साथ उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। अगर ये दोनों मिल जाएं तो युवा बहुत जल्दी नशामुक्त हो सकते हैं।
वातावरण निर्माण के लिए रचनात्मक गतिविधियां
केंद्र के असिस्टेंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर राजकुमार जैन बताते हैं कि श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ अंचल में बढ़ रहे नशे के खिलाफ वातावरण निर्माण के लिए केंद्र अनेक प्रकार की गतिविधियां संचालित करता है। समय-समय पर नाट्य मंचन, भाषण, निबंध, पोस्टर एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताएं तथा अन्य रचनात्मक गतिविधियां भी करवाए जाती हैं। टांटिया यूनिवर्सिटी, जिला प्रशासन एवं पुलिस की ओर से पूरे जिले में चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन सीमा’ अभियान में भी केंद्र की सक्रिय भागीदारी रहती है।
नियमित देखभाल और स्वास्थ्य सेवाएं
नशामुक्ति केंद्र एवं पुनर्वास केंद्र में उपचाराधीन रोगियों की नियमित देखभाल होने के साथ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहती हैं। शहर के सुप्रसिद्ध मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. विशु टांटिया के मार्गदर्शन में चल रहे इस केंद्र में उपचाराधीन युवाओं को मानसिक रूप से नशामुक्ति के लिए तैयार करने में यथा संभव प्रयास किए जाते हैं। डॉ. शशिकुमार शर्मा एवं टांटिया होम्योपैथी कॉलेज के उपप्राचार्य डॉ. पी.के. चक्रवर्ती नियमित स्वास्थ्य सेवाएं देते हैं। काउंसलर विकास रांगेरा, सहायक राकेशकुमार भादू, अंकुशकुमार, रामचरण एवं भूपेंद्र सारण की सेवाएं हर समय उपलब्ध रहती हैं।
क्रिकेट खिलाड़ी उदय सहारण हैं ब्रांड अम्बेसडर
इंडिया अंडर-19 क्रिकेट टीम के कप्तान उदय सहारण जे. आर. टांटिया चेरिटेबल नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के ब्रांड अम्बेसडर हैं। वे समय-समय पर नशे के विरुद्ध वातावरण निर्माण के लिए कार्य करते हैं। लोगों को नशे से दूर रहने एवं खेलों से जुड़ने का आग्रह भी करते हैं।
युवाओं को नशामुक्त करना मेरा प्रयास: डॉ. मोहित टांटिया
टांटिया यूनिवर्सिटी के वाइस चेयरमैन डॉ. मोहित टांटिया युवा शक्ति के लिए सदैव सजग और सक्रिय रहते हैं। युवाओं के प्रति उनकी सकारात्मक सोच के चलते ही उन्होंने जे.आर. टांटिया चेरिटेबल नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के माध्यम से युवाओं को नशामुक्त कर स्वस्थ सुदृढ़ समाज में योगदान का बीड़ा उठा रखा है। इसके तहत युवाओं को नशामुक्त करने की मुहिम चल रही है। डॉ. टांटिया की स्पष्ट मान्यता है कि युवा ही देश का भविष्य हैं और उन्हें नशे से दूर शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की दिशा में हर संभव प्रयास होना चाहिए।
श्री मोहन आलोक पुस्तकालय
युवाओं को साहित्य से जोड़ने के लिए केंद्र में एक नवाचार किया गया है। इसके तहत यहां एक पुस्तकालय का संचालन भी किया जा रहा है। साहित्यकार कृष्णकुमार ‘आशु’ इस पुस्तकालय के प्रोजेक्ट चेयरमैन हैं। राजस्थान के प्रसिद्ध राजस्थानी साहित्यकार मोहन आलोक के नाम पर स्थापित इस पुस्तकालय में हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी एवं राजस्थानी भाषा की पुस्तकें उपलब्ध हैं। खाली समय में उपचार के लिए आने वाले युवा इन पुस्तकों का अध्ययन करते हैं।