जब इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप से मिला था किसानों को हक, शहीद हो गए थे आठ किसान, जानिए… 54 साल पुरानी दास्तां

ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले के संगरिया स्थित शहीद स्मारक नगरपालिका पार्क में 7 जनवरी 1970 को किसान आन्दोलन में शहीद किसानों व मजदूरों की शहादत के 54 वर्ष पूर्ण होने के दिन श्रद्धांजलि अर्पित की गई। खेती बचाओ किसान बचाओ मोर्चा प्रवक्ता प्रो. ओम जांगू ने 1969 के ऐतिहासिक किसान आन्दोलन की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया सरकार द्वारा राजस्थान नहर में भूमि नीलामी के माध्यम से बेचने के निर्णय के विरोध में अनूपगढ़ से किसान आंदोलन शुरू हुआ जो श्रीगंगानगर व चूरू जिले सहित अन्य क्षेत्र में फैल गया।
आंदोलन में किसान, मजदूर, व्यापारी व विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। आन्दोलन के दौरान 7 जनवरी 70 को संगरिया, चूरू व भादरा में पुलिस ने आंदोलनकारियों पर पुलिस फायरिंग की जिसमंे संगरिया में 5, भादरा में 1 एवं चूरू में 2 आंदोलनकारी किसानों की शहादत हुई।
आंदोलन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने हस्तक्षेप किया और किसानों की शहादत के आगे झुकते हुए राज्य सरकार को नीलामी रोकने के आदेश दिए। इन शहीदों की शहादत ने राजस्थान नहर परियोजना में क्षेत्र के लाखों भूमिहीन परिवारों को एक लाख मुरब्बा कृषि भूमि का आवंटन करवाया। राजस्थान फीडर की आरडी 496 पर सिंचाई पानी लेने के लिए भाखड़ा क्षेत्र के किसानों को नक्का मिला। खुशहाली टेक्स माफी तथा भाखड़ा में सिंचाई सुविधा विस्तार के लिए इंजीनियर मोती राम कमेटी बनी जिसने भाखड़ा, गंग नहर क्षेत्र में सिंचाई सघनत्ता बढाने की सिफारिश की। इसके अनुसार भाखडा की सादुल ब्रांच की लोंगोवाल नहर व सूरतगढ़ नहर का क्षेत्र राजस्थान नहर में स्थानांतरित करने, करणी ब्रांच के लालगढ़ क्षेत्र को गंगनहर में शामिल करने, गंग नहर के जीबी नहर एव रायसिंहनगर के क्षेत्र को राजस्थान नहर से जोड़ कर शेष भाखडा क्षेत्र की सिंचाई संघनत्ता बढाने की सिफारिश की। यह अलग बात है कि सरकार ने इस सिफारिशों को मानने में कोई दिलचस्वी नहीं दिखाई।
इस कारण भाखड़ा क्षेत्र में सिंचाई संकट बना रहता है।
पूर्व सरपंच राजेन्द्र लूना ने कहा कि किसान शहीदों को श्रद्धांजलि तभी होगी जब भाखड़ा क्षेत्र के किसान को 1872 क्यूसिक सिंचाई पानी मिलेगा तथा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट अनुसार किसानों को फसल की लागत पर 50 फीसद लाभकारी मूल्य मिलेगा। इसके लिए क्षेत्र में मजबूत किसान आन्दोलन खड़ा करने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में बंतराज, शोपत सिंह, राम, दीपचंद, देव किशन जयपाल, टेकचंद, भीमसेन, अमनदीप व लालचंद आदि मौजूद थे।

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