गुरु बिन ज्ञान अधूरा: भादरा में गूंजा वैदिक मंत्रों संग गुरु महिमा उत्सव

ग्राम सेतु डॉट कॉम.
हनुमानगढ़ जिले के भादरा कस्बे में अध्यात्म, साहित्य और संस्कारों की त्रिवेणी उस वक्त बह उठी जब अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में श्गुरु की महिमा उत्सवश् का भव्य आयोजन हुआ। वैदिक मंत्रोच्चारण से प्रारंभ हुए इस आयोजन में शिक्षा, संस्कृति और साहित्य जगत की विशिष्ट हस्तियों ने गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता पर गूढ़ विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि गुरु ही वह दीप है, जो अज्ञान के अंधकार में ज्ञान का प्रकाश फैलाकर शिष्य को जीवन की ऊँचाइयों तक ले जाता है। आज जब युवा पीढ़ी तकनीक की चकाचौंध में मूल्यों से भटक रही है, ऐसे में गुरु की भूमिका और भी प्रासंगिक हो गई है। अध्यक्षता धर्म संघ महाविद्यालय के प्राचार्य शिक्षाविद् डॉ विदिश दत्त शर्मा ने की। कार्यक्रम का आगाज वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया।
डॉ विदिश दत्त शर्मा ने कहा कि जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी है। वैदिक साहित्य का हमारे जीवन में चमत्कारी प्रभाव है। अपने आध्यात्मिक संत परंपरा गुरुओं द्वारा आज हमारी सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार विश्व में किया जा रहा हैं। वर्तमान में वैदिक महाविद्यालय में गुरुकुल शिक्षा पद्धति से सुदृढ़ समाज एवं राष्ट्र निर्माण कारी शिक्षा दी जा रही है। गुरु के साथ शिष्य चलेगा तो अवश्य ही वह आगे चलकर नए भारत का स्वामी विवेकानंद बनेगा। अन्यथा आज गुरुओं का अनुसरण नहीं करने वाले जीवन पथ भूलकर नशे की ओर अग्रसर है, जो चिंताजनक हैं।


अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के प्रांत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कर्ण सिंह बेनीवाल ने कहा कि गुरु का जीवन में बहुत महत्व है। गुरु के बिना जीवन में अंधकार है। आत्म बोध से विश्व बोध क्यों जरूरी है, भारत की सनातन परम्परा कल्याण कारी परंपरा रही हैं। युवाओं को विविध क्षेत्रों में गहन अध्ययन की आवश्यकता है, चाहे शिक्षा हो,साहित्य हो, कृषि हो, वास्तु शास्त्र हो, राजनीति शास्त्र हो। पहले आत्म ज्ञान मजबूत करने की आवश्यकता है तभी हम विश्व को बोध कर सकेंगे। मोबाइल ने युवा पीढ़ी को पुस्तकों से दूर किया है जिसके गहन अध्ययन संभव नहीं है।
राजकीय महाविद्यालय में हिंदी के सहायक आचार्य डॉ पवन कुमार शर्मा ने कहा कि जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने का कार्य गुरु करता हैं। साथ ही गुरु अपने आप को परेशानी में डालकर शिष्य के हित के लिए सदैव प्रयत्नशील रहता है।
राजस्थान भूतपूर्व सैनिक संघर्ष मंच भारत के राजस्थान प्रभारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार, इतिहासकार परिषद के सदस्य विरेन्द्र नाहटा ने कहा कि गुरु स्वयं पीछे रहकर शिष्य को शिखर पर पहुंचाने का प्रयत्न करता है। हमारी परंपराओं में ऐसे अनेक उदाहरण सामने मिलते हैं वर्तमान युग में गुरु एवं शिष्य को ज्यादा सजग रहते हुए आचरण करने की आवश्यकता है।
शंकर लाल बंसल ने आभार जताते हुए गुरु की महिमा के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया। रतनलाल गोल्याण ने संदेश भेजकर बताया कि गुरु की महिमा बड़ी है। इस अवसर पर साहित्यकार रतनलाल, पवन शर्मा, वीरेंद्र नाहटा, शुभंकर, संदीप, राकेश आदि ने अपनी बात रखी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *