राजेश चड्ढ़ा.
आज्ञा भई अकाल की, तबै चलायो पंथ।
सब सिखन को हुक्म है गुरू मान्यो ग्रन्थ।।
गुरू ग्रंथ जी मान्यो, प्रगट गुरां की देह।
जो प्रभु को मिलबो चहै, खोज शब्द मै लेह।।
राज करेगा खालसा, अकि रहे न कोय।
ख्वार होय सब मिलेंगे, बचे सरन जो होय।।
दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी दे ऐतिहासिक कथन दा हवाला दिंदे होये इस दोहे दे अर्थ हन-
अमर सत्ता दी रचना अमर जीव दे हुकुम अनुसार होई सी। सारे सिखां नूं ग्रन्थ नूं अपणा गुरु मनन दा हुकुम दिता गया है। गुरुग्रन्थ नू गुरुआं दा अवतार मन्नो। जो वाहेगुरु नूं मिलणा चौहंदे हन, उह उस नूं इसदे भजनां विच पा सकदे हन। शुद्ध राज करेगा अते अशुद्ध हुण मौजूद नहीं रहेगा। जो विच्छड़े होये हन उह इक हो जाणगे अते सारे भगत बच जाणगे।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपणी मौत तों कुज समां पहलां पवित्र ग्रंथ, आदि ग्रंथ नूं अपणा उत्तराधिकारी घोषित कीता सी, इस तरहां मनुखी गुरुआं दी परंपरा नूं खतम कीता गया सी। गुरु ग्रंथ साहिब जी दे रूप विच स्थापित, इह ग्रंथ सिख धर्म दा केंद्रीय ग्रंथ है, अते सारे सिखां दा का सदीवी गुरु है। इह सिख धर्म दा केंद्र है क्योंकि इस विच दस सिख गुरुआं दियां जीवित आत्मावां होण दा विश्वास कीता जांदा है।
इस दोहे दा ज़िक्र सिख धर्म दे कुज रेहितनामयां विच कीता गया है। रेहितनामा गुरु दा हुकुम है जो उस समां गुरू साहिबां दे नज़दीकी सिखां द्वारा लिखेया गया सी।
जदों गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म दे गुरु वजहों आदि ग्रंथ दी स्थापना कीती सी ,उस दा इक चश्मदीद वरितांत नरबुद सिंह द्वारा भट्ट वाही (कवि दी पुस्तक) विच दर्ज कीता गया सी अते इह कथन केंद्रीय मंत्र दा हिस्सा है, ‘सब सिखां को हुक्म है, गुरु मानेयो ग्रंथ’।
गुरु समय दे महान विद्वान भाई गुरदास जी दे शब्दां विच, ‘सबद गुरु विच है अते गुरु सबद विच है। दूजे लफ़ज़ां विच, मनुख शरीर गुरु नहीं सी, सगों सबद दा प्रकाश सी अते हिरदय दे अंदर उसदी असल शख्सियत सी।’ जदों मनुखी मन गुरु दे शब्दां विच डूंगा डुब जांदा है, तां सारियां मानसिक अशुद्धियाँ दूर हो जांदियां ने अते गुरु दा ज्ञान मनुख दी आत्मा विच प्रवेश करदा है। इस तरहां भक्त नूं ब्रह्म प्रकाश अते ज्ञान प्राप्त हुंदा है जो उसनूं प्रभु दे नाम दा चिंतन करण लयी प्रेरित करदा है।
-लेखक लोकप्रिय शायर और आकाशवाणी के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक हैं