अब सड़क पर उतरेंगे किसान, 8 को घेरेंगे कलक्टर कार्यालय

ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले के किसानों ने सरकार को मैसेज देते हुए ऐलान किया है कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो 8 सितम्बर को जिला कलेक्ट्रेट के सामने महापंचायत की जाएगी। किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि यह आंदोलन केवल उनके हक की लड़ाई नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए भी है। किसानों की सबसे प्रमुख मांग है कि धान, मूंग और बाजरे की सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सुनिश्चित की जाए। पत्रकार वार्ता में किसानों ने कहा कि हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर की कृषि परिस्थितियां पंजाब और हरियाणा जैसी ही हैं। वहां धान की सरकारी खरीद होती है, जबकि राजस्थान के किसानों को औने-पौने दामों पर अपनी मेहनत की कमाई बेचना पड़ता है।


मूंग की फसल के मामले में भी किसान गंभीर नुकसान झेलते हैं। खरीद नवंबर में शुरू होती है, जबकि तब तक अधिकांश किसान मजबूरी में अपनी उपज सस्ते दामों पर बेच चुके होते हैं। किसानों की मांग है कि धान और मूंग की खरीद 15 सितम्बर से ही शुरू की जाए ताकि उन्हें समय पर उचित मूल्य मिल सके। इसके साथ ही राज्य सरकार से आग्रह किया गया कि वह अपने चुनावी घोषणा-पत्र में किए गए वादे के अनुसार बाजरे की सरकारी खरीद को भी तुरंत लागू करे।


महापंचायत को सफल बनाने के लिए किसानों ने गांव-गांव में प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। संगरिया, टिब्बी, पीलीबंगा और हनुमानगढ़ तहसीलों में जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। किसान संगठन ने कहा कि अब यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि किसान अस्मिता और भविष्य की लड़ाई है।


पत्रकार वार्ता में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए जिनमें रामेश्वर वर्मा, रायसाहब चाहर मल्लड़खेड़ा, मनदीप सिंह, काका सिंह, सुभाष मक्कासर, बलजिंदर सिंह, बलबहादुर सिंह, सुखजीत सिंह, रवि रिणवा, सुखदेव सिंह, कुलविन्दर सिंह, रघुवीर वर्मा, जाकिर हुसैन, सद्दाम हुसैन, बलविंदर सिंह, रेशम सिंह मानुंका, आत्मा सिंह, गुरप्यार सिंह, मनप्रीत सिंह, गुरराज सिंह, गुरजीवन सिंह, जीवन सिंह, संदीप सिंह कंग, अवतार सिंह भुल्लर, अवतार सिंह बराड़, अमरजीत सिंह, लखवीर सिंह गुरुसर और बलदेव सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे।


किसानों ने साफ चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी जायज मांगों को गंभीरता से नहीं लिया तो आंदोलन को और विस्तृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर खरीदी किसानों का हक है, और इस हक को छीनने की इजाज़त किसी भी कीमत पर नहीं दी जाएगी। किसानों ने एकजुट होकर ऐलान किया कि वे हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार हैं।

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