ग्राम सेतु ब्यूरो.
राजस्थान की संस्कृति और अर्थव्यस्था को मजबूती देने में ऊंट की अपनी भूमिका रही है। लिहाजा, ऊंट न सिर्फ रेगिस्तान का जहाज बल्कि आज भी दूर दराज के क्षेत्र में लोगों के लिए मददगार है। बीकानेर में चल रहे ऊंट महोत्सव के तहत राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) परिसर में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस महोत्सव को देखने बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी एनआरसीसी पहुंचे। इस वर्ष पहली बार इस महोत्सव में घोड़ों की दौड़ भी आयोजित की गई, साथ ही रेतीले धोरों में ऊंट और घोड़ों की दौड़ देखने के लिए सैलानियों का हुजूम उमड़ पड़ा। महोत्सव को लेकर विदेशी पर्यटकों में भी काफी उत्साह देखा गया।
ऊंट महोत्सव में राजस्थानी लोक धुन पर ऊंटों की लंबी कूद और नृत्य ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। ऊंट साज सज्जा, फर कटिंग सहित विभिन्न प्रतियोगिताओं का सैलानियों ने खूब लुत्फ उठाया। सजे धजे ऊंट और फर कटिंग कर ऊंटों पर बनाई गई विभिन्न कलाकृतियां हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। लोगों में ऊंट सवारी के साथ-साथ सेल्फी लेने का क्रेज भी देख गया, एनआरसीसी की ओर से ऊंट के दूध से बने विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। लोग ऊंट के दूध से बनी आइसक्रीम, कॉफी का आनंद लेते नजर आए।
फोक नाइट ‘सन्स ऑफ सॉयल’ का हुआ आयोजन
डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में आइकन्स ऑफ बीकानेर के तहत पारंपरिक रंग बिरंगे परिधानों में सजे प्रतिभागियों ने मिस्टर बीकानेर, मिस मरवण, मिसेज बीकाणा सहित ढोला-मरवण प्रतियोगिताओं में बढ़ चढ़ कर भाग लिया, साथ ही सैलानियों को राजस्थान की समृद्ध लोक संस्कृति से रूबरू करवाया। एक ओर जहां पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे रोबीले वीर रस से ओतप्रोत गीतों के साथ कदमताल करते दिखे, वहीं नखशिख श्रृंगार के साथ युवतियों ने मिसेज बीकाणा और मिस मरवण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, साथ ही शाम को फोक नाइट सन्स ऑफ सॉयल का आयोजन हुआ। राजस्थानी लोक गीत लोक धुनों से सजे इस कार्यक्रम में राजस्थानी लोक कलाकारों सहित अन्य राज्य के कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियां दी।