पंचायतीराज के प्रहरी: सरपंच सुनील क्रांति ने दिलाई लोंगवाला को पहचान

ग्राम सेतु डॉट कॉम.
हनुमानगढ़ जिले की पीलीबंगा पंचायत समिति क्षेत्र में गोलूवाला रोड स्थित है गांव लोंगवाला। सोशल मीडिया पर इस गांव की खूब धमक रहती है। पिछले चार साल में यह गांव सदैव चर्चा में रहा है। दरअसल, इस गांव को पहचान दिलाने में सरपंच सुनील क्रांति का अपना योगदान है। सुनील के सरपंच बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। सुनील के पिता भजनलाल इसी गांव के विद्यालय में अध्यापक रहे हैं। सुनील यहीं पर पले-बढ़े। हालांकि इनकी प्रारंभिक शिक्षा रावलामंडी और बीकानेर में हुई। बाद में जयपुर चले गए। साल 2014 में सुनील ने युवा क्रांति संस्थान की नींव रखी। यह गैर राजनीतिक संस्था है, पूरी तरह सामाजिक। एक तरह से एनजीओ कह सकते हैं। रचनात्मक कार्यों को बढ़ावा देना इसका मकसद रहा। नेतृत्व क्षमता में दक्षता के कारण सुनील युवाओं की मजबूत टीम तैयार करने में सफल रहे। साल 2020 में पंचायतीराज चुनाव की सुगबुगाहट हुई। सुनील क्रांति जयपुर से गांव आए हुए थे। एक माह बाद चुनाव था। युवाओं ने उनसे चुनाव लड़ने का आग्रह किया। सामूहिक विचार विमर्श के बाद उन्होंने हां कर दी। पहली नजर में यह आसान नहीं था। पहले से स्थापित गांव व पंचायत के पुराने नेताओं की अपनी पैठ थी। उसमें सेंधमारी आसान नहीं थी। लेकिन सुनील की ‘क्रांति’ ने माहौल बदल दिया। देखते ही देखते सुनील क्रांति गांव लोंगवाला के सरपंच बन गए।


सुनील का परिवार
पिता भजनलाल और माता शांति देवी के पुत्र सुनील क्रांति तीन भाई बहिन हैं। बड़े भाई संदीप कुमार हैं और समीना छोटी बहिन। धर्मपत्नी किरण अध्यापिका हैं और बेटा भवेश क्रांति अभी दो साल का है। स्नातक तक शिक्षित सुनील का यही परिवार है।
अन्ना आंदोलन से प्रेरित
बचपन से सुनील को राजनीति से लगाव रहा। लेकिन अन्ना आंदोलन से वे बेहद प्रेरित हुए। युवा क्रांति संस्थान उसी की परिणति है। सुनील क्रांति कहते हैं, ‘राजनीति जन सेवा का माध्यम है। बेशक इसमें बेशुमार चुनौतियां हैं। लेकिन लीक से हटकर कुछ खास करने की ललक हो और उसे पूरा करने की जिद तो सफलता जरूर मिलती है।
जीवन का मूल मंत्र
भले राजनीतिक पृष्ठभूमि शून्य है लेकिन सकारात्मक सोच और ईमानदारी से काम करने का जज्बा होना जरूरी है। सरपंच सुनील क्रांति कहते हैं,-‘निर्भीकता के बिना आप कोई कदम नहीं उठा सकते। व्यापक सोच आवश्यक है। मन में यह रखना पड़ेगा कि समस्या है तो उसका समाधान लाजिमी है। आपको तय करना है कि इसे कब और कैसे हासिल करना है। इसके लिए सौ फीसद प्रयास आवश्यक है। यही सफलता का राज है, और कुछ भी नहीं।’

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