मिट्टी दी खुशबू : पंजाबी सभ्याचार दा मस्ताना राजदूत

राजेश चड्ढ़ा.
किसे वी खिते दा लोक सँगीत पीढ़ियाँ नूँ जोड़न, उस नूँ बहाल करन अते अग्गे वधौन विच हमेशा मदद करदा है। जदों वी पंजाबी लोक संगीत विच किसे कलाकार दे स्थायी प्रभाव नूँ याद कीता जाँदा है ताँ बहौत सारे नाम सामने औन लग पैंदे हन। पंजाबी संगीत दे उन्हाँ नामाँ विचों चमकदे होये सितारे आसा सिंह मस्ताना दा नाम बहौत अदब नाल याद कीता जाँदा है।
महान संगीतकार अते गायक आसा सिंह मस्ताना नूँ पँजाबी लोक संगीत दा प्रतीक केहा जा सकदा है। आसा सिंह मस्ताना पंजाब दे अमीर सभ्याचार अते विरासत नूँ दुनिया दे हर कोने विच लै गये। उन्हाँ दी रूहानी आवाज़ मातृभूमि दे दर्द अते खुशी दियाँ सदीवी कहानियाँ दे नाल अज्ज वी गूँज रही है।
आसा सिंह मस्ताना दा जन्म 22 अगस्त 1926 नूँ पाकिस्तान दे शेखपुरा विच माता अमृत कौर अते पिता सरदार प्रीतम सिंह दे घर होया सी। उन्हाँ दी जन्मजात संगीतक प्रतिभा ने जल्दी ही लोकाँ दा ध्यान अपने वल खिचेया। संगीत दे प्रति उन्हाँ दा प्यार निर्विवाद सी। खालसा स्कूल विच उन्हाँ दे 8 वीं जमात दे अध्यापक ने उन्हाँ नूँ गुनगुनौंदे सुनके उन्हाँ नूँ उपनाम ’मस्ताना’ दिता। एह नाम उन्हाँ दे नाल जुड़ गया अते इस रूहानी नशे दा प्रतीक बन गया के दुनिया जल्दी ही उन्हाँ दी आवाज़ सुनेगी।
आसा सिंह मस्ताना अपने समय दी महान कलाकार नूरजहाँ तों प्रभावित अते प्रेरित सन। के एल सहगल अते पंजाब दे अमीर सभ्याचारक माहोल ने मस्ताना दे संगीत प्रति शुरुआती जुनून नूँ पालेया अते पोषित कीता।
आसा सिंह मस्ताना दे करियर विच इक खास मोड़ ऑल इँडिया रेडियो दे नाल उन्हाँ दा जुड़ाव सी। 1940 दे दहाके विच, ऑल इँडिया रेडियो ने लोक सँगीतकाराँ नूँ को उत्साहित करना शुरू कीता अते मस्ताना दी विलखन आवाज़ नूँ इक अजेहा प्लेटफार्म मिलेया जेड़ा इस नूँ देश भर विच लै गया।
1947 विच हिंदुस्तान दी वँड तों बाद इन्हाँ दा परिवार दिल्ली विच वस गया। इस दौरान मस्ताना ने पँडित दुर्गा प्रसाद तों सँगीत दी शिक्षा प्राप्त कीती। सँगीत सिखन दे दौरान उन्हाँ ने दिल्ली दे चाँदनी चौक विच इक बैंक विच सरकारी नौकरी वी कीती।
45 सालाँ तों वध समय तक, उन्हाँ दे गीत हवा दी लहराँ विच छाये रहे। आसा सिंह मस्ताना अपनी प्रामाणिकता अते भावना नाल दर्शकाँ नूँ मोहित करदे रहे। कवि वारिस शाह दी हीर-राँझा दी दुखाँतक प्रेम कहानी अते जुगनी दी पेशकारी दे लोकगीताँ दी उन्हाँ दी प्रस्तुति तुरँत क्लासिक बन गयी, जेड़ी पंजाब दी सभ्याचारक चेतना विच, ढूँगे तक समा गयी।
आसा सिंह मस्ताना दा सभ्याचारक प्रभाव सिर्फ़ भारत तक ही सीमित नहीं सी। 1961 विच, उन्हाँ नूँ प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू दी सरपरस्ती हेठाँ अफ़गानिस्तान विच भारत दे पहले सभ्याचारक प्रतिनिधिमंडल दे हिस्से वजहों चुनेया गया। एह पँजाबी सभ्याचार दे विश्वव्यापी राजदूत वजहों उन्हाँ दी भूमिका दी शुरुआत सी।
उन्हाँ ने कयी मुल्काँ दी यात्रा कीती, जिन्हाँ विच यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, कुवैत अते अमेरिका वी शामिल हन। जिस थाँ वी मस्ताना ने प्रदर्शन कीता, अपने सुनन वालेयाँ दा मनोरँजन कीता अते पँजाब दे अमीर सभ्याचारक इतिहास बारे उन्हाँ नूँ जागरूक कीता। ’बल्ले नी पँजाब दिए शेर बचिए’ अते ’काली तेरी गुत’ वरगे गीत पँजाबी गौरव दे गीत बन गये, जिन्हाँ ने सभ्याचारक वँड नूँ खत्म कर दिता अते दुनिया भर विच पँजाबी सँगीत प्रवासियाँ नाल रल-मिल के गूंजेया।
सँगीत नूँ अग्गे वधौन लयी उन्हाँ ने 1981 विच भारतीय रिजर्व बैंक तों जल्दी ही सेवामुक्ती लै लयी। 1985 विच भारत सरकार ने सँगीत विच उन्हाँ दे असाधारण योगदान लयी उन्हाँ नूँ देश दे सब तों उच्चे नागरिक पुरस्काराँ विचों इक, पद्म श्री नाल सम्मानित कीता गया। ओसे साल उन्हाँ नूँ पँजाबी अकादमी अते शोभना पुरस्कार वी मिले। भारत विच प्रदर्शन कलावाँ लयी शिखरली सँस्था, सँगीत नाटक अकादमी वलों 1986 विच उन्हाँ नूँ इस क्षेत्र विच उत्तमता लयी सम्मानित किया। मस्ताना दी विरासत नूँ 1989 विच होर मजबूती मिली जद पँजाब सरकार ने उन्हाँ नूँ कला अते सभ्याचार विच उन्हाँ दे अनमोल योगदान वजहों राज्य पुरस्कार दिता गया।
’जदों मेरी अर्थी उठा के चलण गे
मेरे यार सब हुम हुमा के चलण गे
चलण गे मेरे नाल दुश्मन वी मेरे
एह वखरी है गल, मुस्कुरा के चलण गे’
शिव बटालवी दे इस गीत नूँ गौण वाले आसा सिंह मस्ताना 23 मई 1999 विच सच्ची-मुच्ची दुनिया तों चले गए अते अपने पिच्छे इक समृद्ध विरासत छड गये, जेड़ी पीढ़ियाँ नूँ प्रेरित कर रही है। पँजाबी सँगीत विच आसा सिंह मस्ताना दे योगदान नूँ अनदेखा नहीं कीता जा सकदा। ’डोली चढदेयाँ मरियाँ हीर चीकाँ’ अते ’मेले नू चाल मेरे नाल कुड़े’ वरगे लोकप्रिय गाने अज वी सुनन वालेयाँ दे दिलाँ विच गूँजदे हन, जो कि उन्हाँ दे सँगीत दे समय दी अनहोंद दा सुबूत हन। मस्ताना दी आवाज़ ने पँजाब दी आत्मा नूँ फड़ेया अते औण वाली पीढ़ियाँ लयी इस दियाँ कहानियाँ, भावनावाँ अते परँपरावाँ नूँ साँभ के रखेया।
आसा सिंह मस्ताना सिर्फ़ इक सँगीतक विरासत नहीं सन, मस्ताना सँगीत दा सम्मान सन। उन्हाँ दी गायकी पँजाबी लोक सँगीत विच इक सच्चा योगदान है, जो हर श्रोते दी आत्मा विच हमेशा गूँजदी रहँदी है।
-लेखक आकाशवाणी के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक और जाने-माने शायर हैं

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