ग्राम सेतु साहित्य डेस्क.
वरिष्ठ बाल साहित्य रचनाकार गोविंद भारद्वाज ने कहा कि लेखक को कभी आलोचना से नहीं घबराना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति रचना पर चर्चा करके आपकी कमी बताता है तो उसे सहजता से लें और भविष्य में उस कमी को दूर करने का प्रयास करें। श्रीगंगानगर स्थित पंचायती धर्मशाला में सृजन सेवा संस्थान की ओर से आयोजित मासिक कार्यक्रम ‘लेखक से मिलिए’ की 118वीं कड़ी में संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। गोविंद भारद्वाज बोले-‘आरंभ में मुझे भी बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन मैं घबराया नहीं और सीखने का क्रम जारी रखा। इसी हौसले और निरंतर सीखने की प्रक्रिया से आज मैं साहित्यिक कार्यक्रमों में भागीदारी निभाने के लिए स्वयं को तैयार कर पाया हूं। भले ही मेरी रचनाएं विभिन्न विधाओं में प्रकाशित होती रहती हैं, लेकिन सही मायने में मैं आज भी खुद को बाल साहित्य रचनाकार के रूप में ही मानता हूं। मेरी बाल कहानियों की चर्चा होती है और लोग मुझे इसी रूप में देखते हैं।’
रचनाकार गोविंद भारद्वाज ने अपनी गजलें और बाल कविताएं भी सुनाईं। इस मौके पर उन्हें सृजन साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें शॉल ओढ़ाकर और सम्मान प्रतीक व साहित्य भेंट करके सम्मानित किया गया। इस मौके पर भारद्वाज की पुस्तक ‘गिल्ली डंडा’ का विमोचन भी किया गया। पुस्तक पर वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद शर्मा (संगरिया) ने चर्चा की। कार्यक्रम में अरुण उर्मेश एवं राकेश मितवा सहित कुछ लोगों ने उनसे सवाल भी पूछे। उन्होंने सहजता से जवाब दिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद उद्यान विभाग की सहायक निदेशक डॉ. प्रीति गर्ग ने कहा कि साहित्य व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। समय के साथ अब सोशल मीडिया एवं इंटरनेट के माध्यम से भी साहित्य को अधिकाधिक प्रचारित किया जाना चाहिए। क्योंकि यही समय की मांग है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आईडीपी मुखपत्र (हिंदी संस्करण) के संपादक राजेश भारत ने कहा कि साहित्य केवल व्यक्ति केंद्रित न होकर समाज की प्रमुख समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाने का माध्यम भी होना चाहिए। हमारे पास विकल्प का मार्ग भी होना चाहिए। उन्होंने क्षेत्र में निरंतर हो रही साहित्यिक गतिविधियों पर भी चर्चा की और कहा कि ये चलती रहनी चाहिएं। अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने आभार जताया। वरिष्ठ पत्रकार व संस्था सचिव कृष्णकुमार आशु ने कार्यक्रम का संचालन किया।
खास बात है कि भारी बरसात और ऐन मौके पर स्थान परिवर्तन करने के बावजूद अनेक साहित्यकार और साहित्य प्रेमी कार्यक्रम में मौजूद थे। इनमें डॉ. संदेश त्यागी, सुरेंद्र सुंदरम, सुरेशकुमार कनवाडिय़ा, ओमाराम बेगड़, डॉ. आशाराम भार्गव, आशीष अग्रवाल केशव, श्वेता, धीरेंद्र शर्मा, सीप गुप्ता, डॉ. रामप्रकाश शर्मा, नरेश शर्मा, सतीश शर्मा, मनीराम सेतिया प्रमुुख थे।