रावतसर में क्या है रामदेव मंदिर बनने की कहानी ?

एडवोकेट एमएल शर्मा.
रावतसर स्थित रामदेेव मंदिर में माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से पूर्णिमा तक चलने वाला बाबा रामदेव मेला समूचे उत्तर भारत में विख्यात है। 201 साल पुराने इस धाम में आस्था का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि इसमें राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा पंजाब, हरियाणा व यूपी तक के श्रद्धालु आकर धोक लगाते है। इस मन्दिर का इतिहास भी अनोखा है। दरअसल, वर्ष 1823 में रावतसर में राजा नाहर सिंह यहां के राजा थे। एक दिन रात्रि के समय गढ़ के पास एक घर पर कामड़ जाति के भक्त बाबा रामदेव का जागरण लगा रहे थे।
भजनों की आवाज से नाहर सिंह की नींद उचट गई और वह रात भर सो नहीं पाए। क्रोधित होकर राजा ने अगले दिन कामड़ों को दरबार में बुलाया व धूप में खड़े रहने का दंड दिया। दंतकथा के मुताबिक, तब कामड़ों ने बाबा रामदेव को याद किया। बाबा के कोप से राजा नाहर सिंह के शरीर पर कोढ़ हो गया। राजपुरोहितों ने राजा को रोग का कारण बाबा रामदेव की नाराजगी बताते हुए बाबा रामदेव से क्षमा याचना करने को कहा। उसी समय आकाशवाणी हुई जिसमें राजा को पैदल रुणेचा आने की आज्ञा सुनाई दी। राजा ने पैदल रुणेचा के लिए प्रस्थान किया। रास्ते में चूरू जिले के श्योराणी गांव के पास उन्हें एक व्यक्ति मिला जो बाबा रामदेव के पगलिये मस्तक पर रखकर चला आ रहा था। उसने कहा कि बाबा रामदेव की आज्ञा से पगलिये लेकर आया हूं। वहीं राजा नाहर सिंह को भी स्वप्न में पगलिये स्थापित करने का आदेश हुआ था। राजा ने बाबा रामदेव के पगलिये लिए व रावतसर में बाबा रामदेव के पगलिये स्थापित कर मंदिर का निर्माण आरम्भ किया।
दंतकथा के मुताबिक, जैसे-जैसे मंदिर का निर्माण पूरा हुआ राजा का कोढ़ का रोग ठीक हो गया। मंदिर निर्माण के पश्चात राजा ने मेला लगवाया। उस दिन से लेकर आज तक प्रतिवर्ष माघ शुक्ल द्वितीया से पूर्णिमा तक रावतसर में बाबा रामदेव का मेला भरता है। पखवाड़े तक चलने वाले इस मेले में दशमी के दिन सर्वाधिक भीड़ होती है। मंदिर में डाली बाई व गोंसाई जी के मंदिर भी बने हुए है।
बाबा रामदेव के पगलिये राजा को देने वाले कुम्हार जाति के उस व्यक्ति के वंशज मंदिर में पूजा करते आ रहे है। राजपरिवार द्वारा कीर्तन करने के लिए कामड जाति के भक्तों को अधिकृत किया गया। मौजूदा समय में यहां मंदिर का जीर्णाेद्धार किया जा रहा है। कमेटी बाबा रामदेव धर्मशाला का संचालन भी करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *