शंकर सोनी.
भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2021 में, भारतीय गेमिंग स्टार्टअप ने 100 करोड़ से अधिक का निवेश जुटाया है। भारत में MPL , Games 24×7, Winjo, zuppy, Dream 11, How Zat, khel Raja, Fair play, Lotus365, Khiladi.com, जैसे सर्वाधिक वित्तपोषित भारतीय गेमिंग स्टार्टअप है, जिनकी कुल संख्या 400 से अधिक हैं। ये सभी सिंगल प्लेयर और मल्टी-प्लेयर गेमिंग की सुविधा देते हैं। लॉकडाउन के समय न चाहते हुए भी घरों में बैठे युवाओं और बच्चो का इंटरनेट की दुनिया से जुड़ाव बढ़ा। जिसके कारण गेमिंग पोर्टल और वेबसाइटों पर ऑनलाइन ट्रैफ़िक की वृद्धि हुई।
आंकड़ों पर नजर डाले तो 10 से 16 फरवरी 2020 और 16 से 22 मार्च 2020 के बीच ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट या ऐप पर विज़िट में 24 फीसद की वृद्धि हुई और गेमिंग साइट या ऐप पर बिताए गए समय के हिसाब से जुड़ाव में इसी अवधि के दौरान 21 फीसद की वृद्धि रही।
स्पष्ट एआई के इस अध्ययन से ऑनलाइन खेलों को बढ़ावा मिला। भारत में पहले अधिकतर जुआ ताश के पत्तों से खेला जाता था। ताश के पतों से खेले जाने वाले खेलों तीन पत्ती (फ्लैश), रम्मी, पपलू, पोकर ब्रिज आदि खेल जाते थे। आश्चर्यजनक बात है, आज़ादी के बाद हमने जुए को रोकने के लिए कोई कानून नहीं बनाया। अंग्रेजों के जमाने में पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 में बना था जो तत्कालीन ब्रिटिश भारत में लागू था।
हमारे संविधान की आजादी के बाद अपने से इस रूप में अपना लिया क्योंकि हमारे संविधान की सातवीं अनुसूची की द्वितीय सूची के क्रमांक 34 पर ‘दाव और द्यूत’ दर्ज होने के कारण इन्हें राज्यों का विषय वस्तु समझ ली गई और विभिन्न राज्यों ने अंग्रेजों के जमाने की पब्लिक गैंबलिंग एक्ट को ही संशोधनों के अंगीकार कर लिया।
ऑनलाइन जुआ के संबंध में अपराधियों को दंड देने हेतु कोई कानून नहीं है।
जब ऑनलाइन जुए के मामले न्यायालयों तक पहुंचे तो उन्होंने माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा 1968 में पारित निर्णय को आधार बनाते हुए संयोग और कौशल से परख करते हुए निर्णय दिए हैं।
माननीय न्यायालय द्वारा इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया। ऑनलाइन ताश के पत्तों पर आधारित खेलों, लूडो, फैंटेसी आदि में एक व्यक्ति के सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप आर्टिफिशल इंटेलिजेंसिया होती है।
खैर, कानून-कायदे तो समय के साथ बनेंगे पर खेद और चिंता का विषय यह है कि आजकल युवाओं के दिलो में बसे महेंद्र सिंह धोनी, कपिल शर्मा, हरभजन मान, सलमान खान, सुनील ग्रोवर, रितेश देशमुख, इरफान पठान, युवराज सिंह, ईशा गुप्ता, बादशाह, संजय दत्त, नवाजुद्दीन उर्वशी रोटेला, काजल अग्रवाल, तमन्ना भाटिया, शाहिद कपूर, विराट कोहली जैसे लोग ऑनलाइन जुए को प्रत्साहन दे रहें है।
जब युवाओं के आदर्श (आइकॉन) ही जुआ खेलने के लिए प्रेरित करेंगे तो देश के युवा का क्या होगा? बेरोजगारी और नशे की गिरफ्त में फसे युवाओं को अब जुए की लत !!
भारत में लगभग 7.5 करोड़ स्मार्ट फोन उपभोक्ता है, सोच कर भी रोंगटे खडे हो जाते है। कि ऑनलाइन जुए को नियंत्रित नहीं किया तो क्या होगा? बात यह नहीं है कि सरकार इस से अनभिज्ञ है। ये ऑनलाइन जुआ उद्योग सरकार को 18प्रतिशत सीएसजीटी और जीएसटी दे रहे।
सरकार को देश और युवाओं की चिता नहीं है। इसीलिए आज तक ऑनलाइन जुए की रोकथाम और अपराधियों को सजा देने हेतु समुचित कानून व्यवस्था नहीं बनाई जा रही है। आईटी रूल्स 2023 में बनाए गए हैं जिनमें ऑनलाइन सेल्स रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाने की व्यवस्था की गई है पर यह प्रभावी कानून नहीं हो सकते।
आशा की किरण एक किरण 1 जुलाई 2024 से नई भारतीय संहिता लागू पर दिखाई देगी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 112 के अंतर्गत इस तरह के संघटित अवैध शर्त और जुआ खिलवाने वालों को कम से कम 1 वर्ष की और अधिकतम 7 वर्ष तक के कारावास की सजा के प्रावधान है।
-लेखक कानून के विशेषज्ञ और नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक हैं