गुस्से में राज्य भर के सरपंच, सरकार के चेहरे पर शिकन नहीं!

ग्राम सेतु न्यूज. जयपुर. 
सीएम अशोक गहलोत एक तरफ विधायकों से कहते हैं, ‘आप मांगते-मांगते थक जाओगे लेकिन मैं देते-देते नहीं थकूंगा।’ तो दूसरी तरफ राज्य के सरपंच सरकार से मांगते-मांगते थक गए हैं लेकिन सरकार के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं। लिहाजा, सरपंच अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं। 
सरपंच संघ का कहना है कि राज्य वित्त आयोग के साथ-साथ केंद्रीय वित्त आयोग का पैसा भी ग्राम पंचायतों में नहीं आ रहा है। ग्राम पंचायतों में विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त आयोग तथा केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय वित्त आयोग के तहत समय-समय पर राशि दी जाती है। यह राशि सभी ग्राम पंचायतों में उनके जनसंख्या के आधार पर दी जाती है। राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त आयोग में 1 ग्राम पंचायत को साल भर में 30 से 40 लाख की किस्त मिलती है। जिसके तहत गांव में सड़क, पानी बिजली आदि को लेकर कार्य किया जाता है। इसी तरह केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा भी लगभग इतनी ही राशि दी जाती है। जिसमें मुख्य रूप से सफाई एवं नाली, नाला निर्माण के साथ-साथ अन्य कार्यों में पैसा खर्च किया जाता है। सरपंचों ने बताया कि साल 2022-23 में आधा बजट भी ग्राम पंचायतों को नहीं मिला है। साथ ही पिछले कई महीनों से राज्य वित्त आयोग एवं केंद्रीय वित्त आयोग दोनों की ही किस्त नहीं आ रही है। वर्तमान में राजस्थान की पंचायतों पर 3 हजार करोड़ रुपए की राशि की सरकारी किस्त बकाया है। जिसके चलते पंचायतों में विकास का पहिया लगभग ठप सा हो गया है।
राजस्थान सरपंच संघ ने अब आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। सरपंच संघ के प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल कहते हैं, ‘सरपंच संघ अपने 15 सूत्री मांग पत्र पर निर्णय नहीं करने के कारण हैरान है। राज्य भर में आंदोलन चल रहा है। प्रथम चरण में सरपंच संघ की ओर से 13 अप्रैल को ब्लॉक, जिला एवं प्रदेश स्तर पर ज्ञापन दिए गए। 20 अप्रैल से प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों के तालाबंदी कर सरपंच राज्य सरकार के प्रशासन गांवों के संग अभियान एवं महंगाई राहत शिविरों का लगातार बहिष्कार करते हुए पंचायत समिति मुख्यालय एवं उपखंड मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं। फिर भी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं।’

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