ग्राम सेतु न्यूज. हनुमानगढ़.
महात्मा गांधी नरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन केंद्र सरकार ने बजट में कटौती कर गांव को बर्बाद करने का बीड़ा उठा लिया है। आलम यह है कि गांवों में लोगों को रोजागर नहीं मिल रहा। उनकी मजदूरी पर संकट है। अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की राज्य स्तरीय बैठक में प्रतिनिधियों ने यह बात कही। उन्होंने आने वाले समय में केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ संघर्ष करने का ऐलान किया। जनशक्ति भवन में हुई बैठक के बाद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ विक्रम सिंह ‘ग्राम सेतु’ से कहते हैं, ‘केंद्र व राज्य सरकार खेत मजदूरों की अनदेखी कर रही है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने मनरेगा के बजट में भारी कटौती की है। परिणाम यह हुआ कि राज्य भर में लाखों लोगों को मनरेगा में न पूरा काम मिला है ना पूरा मजदूरी मिली है। हमारी मांग है कि खेतिहर मजदूरों के लिए कोई केंद्रीय कानून बने जहां उसके हितों की रक्षा हो सके।’
प्रदेश अध्यक्ष रामरतन बागड़िया बोले-आजादी के बाद यह कहा गया कि हर गरीब खेतिहर मजदूर को जमीन मिलेगी। लेकिन आज बड़ी-बड़ी कंपनियों को सरकारी भूमि कौड़ियों के दाम दी जा रही है। जब इन कॉरपोरेट घरानों के पास जमीन चली जाएगी तो फिर किसानों और खेतिहर मजदूरों का क्या होगा। इसलिए हमें एकजुट होकर इसके खिलाफ संघर्ष करना होगा।
राज्य सचिव रघुवीर सिंह वर्मा ‘ग्राम सेतु’ से कहते हैं कि पांच जून को रामलीला मैदान नई दिल्ली में खेतिहर मजदूरों की रैली होगी। इसमें केंद्र सरकार पर खेतिहर मजदूरों के लिए कानून बनाने का दबाव बनाया जाएगा। 18 मई को पूरे प्रदेश में मनरेगा मजदूरों व भूमिहीनों को जमीन देने की मांग को लेकर पंचायत समिति व एसडीएम कोर्ट पर प्रदर्शन किए जाएंगे। प्रदेश भर में मई माह में 50,000 खेतिहर मजदूरों को संगठन का सदस्य बनाया जाएगा। बैठक में वकील सिंह, पालाराम नायक, मनीराम मेघवाल, पुष्पा शाक्य, पूर्ण सिंह, कुंदनलाल, प्रहलाद मेघवाल, साहब राम, बजरंग छिंपा, हेमाराम, प्रदीप बिश्नोई, रामपाल, रामचंद्र, अमरजीत सिंह, जरनैल सिंह कृपाल बावरी आदि ने अपनी बात रखी।