राजस्थान के इन गांवों में क्यों नहीं मिलती शराब ?

ग्राम सेतु न्यूज. जयपुर.
सरपंच चाहे तो गांव की तस्वीर बदल सकती है। सरपंच चाहे तो गांव के सामाजिक ढांचे को बेहद मजबूत किया जा सकता है। हर सुधार की पहल सरपंच के हाथों में है। मसलन, राजसमंद जिले की बरजाल ग्राम पंचायत को ही लीजिए। सरपंच की पहल ने इस गांव को देश के मानचित्र पर अंकित कर दिया। बरजाल ग्राम पंचायत में शराबबंदी को लेकर वोटिंग हुई लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई। लेकिन सुधार के सूत्रधार हार नहीं माने। आखिरकार, ग्रामीणों ने कानूनी न सही सामाजिक स्तर पर शराबबंदी लागू कर इतिहास बना दिया। कानूनी तौर पर बहुमत न मिलने पर ग्रामीण मायुस न हुए। जब ठेकेदार ने शराब की दुकान खोलनी चाही तो उसे जगह नहीं मिली। परिणामस्वरूप शराब की दुकान न खुल पाई। बरजाल गांव की तरह अब खीमाखेड़ा, कुकरखेड़ा और पसूंद गांव में भी लोग इस पहल को आगे बढ़ा रहे हैं।  भीम के मगरा क्षेत्र में शराबबंदी आंदोलन का रूप ले चुकी है। इस मिशन में भीम-देवगढ़ की 54 ग्राम पंचायतें हैं। राज्य में नौ ग्राम पंचायतें शराबमुक्त हैं, जिसमें छह मगरा क्षेत्र की हैं। राजसमंद की काछबली प्रदेश की पहली शराबमुक्त ग्राम पंचायत बनी। मंडार में तो महिलाएं हाई कोर्ट तक गई। हर दूसरे घर में सरकारी नौकरी करने वाला या फौजी है। यहां की महिला सरंपच एमए-बीएड, एमबीए हैं।
ग्रामीण बताते हैं कि भीम के इन गांवों में शाम होते ही नशेड़ी सड़कों पर पड़े मिलते थे। एक बोतल के लिए युवा सड़कों पर गाड़ियां लूट रहे थे। गाली-गलौज, मारपीट आम घटनाएं थीं। स्कूल बैग में बच्चे शराब लेकर जाने लगे और वही पीते थे। नशे में गाड़ियां चलाते हुए परिवार उजड़ गए। इस स्थिति ने महिलाओं को हिलाकर रख दिया। महिलाएं उग्र हुई और काछबली, मंडावर, थानेठा, बरार और हामेला की बैर में शराबबंदी हो गई। शराबियों से अटी रहने वाली इन गांवों की गलियां अब शांत है। बच्चों में नशा फैलने से रुका है।
इतनी विकट स्थिति में सुधार की बात बेमानी सी लगती है। लेकिन ऐसा नहीं है। सरपंच ने जिद और जुनून से यह कर दिखाया। गांव में शराबबंदी का समर्थन के लिए लोग आगे नहीं आ रहे थे। महिला सरपंचों ने अभियान चलाया, नशा मुक्ति शिविर लगवाए। एकजुटता देख पुरुष भी साथ आए। शराबबंदी के खिलाफ वोटिंग हुई तो शराबियों ने भी शराबबंदी के समर्थन में वोटिंग की। 70 फीसद वोटिंग हुई तो 25 फीसद वोट शराबियों के थे। पूछा गया तो बोले-हमने तो जिंदगी बर्बाद कर ली, बच्चों की नहीं होनी चाहिए। मंगरा क्षेत्र में शराबबंदी की अगुवाई कर रहे सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक गिरधारी सिंह रावत बताते हैं ‘हमने घरों को उजड़ते देखा है, अब ऐसा नहीं होगा। भीम-देवगढ़ की 54 ग्राम पंचायतों को शराबमुक्त बनाने का संकल्प लिया है। इस अभियान में महिलाओं की बड़ी भूमिका है। उन्हीं के हौसलों से हमें हिम्मत मिली है।’ 

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