पूंजीवाद निगल गया ‘इंकलाब’ का नारा!
गोपाल झा. इंकलाब-जिंदाबाद। महज दो शब्दों की जुगलबंदी का जादू। इसे सुनते ही माहौल में जोश भर जाता है। लोगों…
गोपाल झा. इंकलाब-जिंदाबाद। महज दो शब्दों की जुगलबंदी का जादू। इसे सुनते ही माहौल में जोश भर जाता है। लोगों…