बारिश के दबाव में टूटा दो साल पुराना पुल, फिर क्या ?

ग्राम सेतु डॉट कॉम.
हनुमानगढ़ जिले के जाखड़ांवाली से हनुमानगढ़ को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर मंगलवार रात्रि एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब चक 9 जेडडब्ल्यूडी के समीप बने सेमनाले के पुल का एक हिस्सा भरभराकर ढह गया। यह वही पुल है, जिसका करीब दो वर्ष पूर्व सिंचाई विभाग द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था। पुल टूटने से सड़क के दोनों ओर करीब 25 से 30 फीट लंबाई तक 7-8 फीट गहरा गड्ढा हो गया है, जिससे इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह हादसा मंगलवार रात करीब 8 बजे हुआ। सौभाग्य से उस समय कोई वाहन पुल से नहीं गुजर रहा था, अन्यथा यह एक भयंकर त्रासदी में बदल सकता था। पुल ढहने के साथ ही सड़क का एक बड़ा हिस्सा मिट्टी सहित अंदर धंस गया। आसपास की मिट्टी और रेत में कटाव इतना तेज था कि कुछ ही मिनटों में सड़क का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया।
जानकारी के मुताबिक, इन दिनों क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है, जिससे सेमनाले में पानी का दबाव अत्यधिक बढ़ गया है। इस बीच सिंचाई विभाग द्वारा खाळे की पुलियों का निर्माण कार्य चल रहा था, जिससे नाले में अस्थायी बंधा बनाकर पानी का प्रवाह रोका गया था। जब दोनों ओर के बंधे खोले गए, तो एकाएक बढ़े जलदबाव ने पुल की नींव में डाली गई बालू और रेत को बहा ले जाने का काम किया और पुल की मिट्टी में तीव्र कटाव शुरू हो गया।
प्रशासन और पुलिस मौके पर, मार्ग पूरी तरह सील
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचा। तुरंत प्रभाव से सड़क पर बैरिकेड्स लगाकर मार्ग बंद कर दिया गया और वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजने के निर्देश दिए गए। जाखड़ांवाली से हनुमानगढ़ आने-जाने वाली बसों को अब चक 6 एचएलएम होते हुए भेजा जा रहा है, जिससे लगभग 15 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी होगी।
स्थानीय लोगों में आक्रोश, सवालों के घेरे में विभाग
पुल केवल दो साल पहले ही बना था, ऐसे में इसकी गुणवत्ता और निर्माण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और तकनीकी मानकों को नजरअंदाज किया गया। लोग हैरान हैं कि महज दो बरस में यह पुल बारिश की पहली चुनौती भी नहीं झेल पाया। विशेषज्ञों का मानना है कि बंधे खोलने से पहले जलप्रवाह के लिए सुरक्षित वैकल्पिक मार्ग या निकासी की व्यवस्था नहीं की गई, जिससे पुल पर अचानक जलदबाव बना और नींव खिसक गई। ऐसे में विभाग की तकनीकी लापरवाही साफ नजर आती है।
अब क्या आगे?
सवाल यह है कि क्या इस टूटे हुए पुल की मरम्मत फिर से जनता की जान जोखिम में डालकर की जाएगी या इस बार जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी? क्या दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी या यह घटना भी फाइलों में दब जाएगी?

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