मिट्टी दी खुशबू: माँ हुँदी है माँ ओ दुनिया वालेयो

राजेश चड्ढ़ा.
महात्मा बुद्ध कहँदे हन-माँ होना मिट्ठा हुँदा है। क्योंकि इक माँ ही बिना शर्त प्यार करदी है। उत्थों ही बच्चा बिना शर्त प्यार का आनँद सिखदा है। माँ अते सँगीत विच ढूँगा रिश्ता है। माँ दा सँगीत भाँवे लोरी होवे या कोई होर धुन, बच्चेयाँ लयी इक आरामदायक अते सुरक्षित माहौल पैदा करदा है। माँ नाल ताल्लुक रखन वाले किसे वी सँगीत विच बच्चेयाँ दा इक खास जुड़ाव हुँदा है जेड़ा बच्चेयाँ दे भावनात्मक अते सामाजिक विकास विच मदद करदा है। एही सँगीत जद लोक दा हिस्सा बन जाँदा है, तद इस नूँ विभिन्न शैलियाँ विच गाया जाँदा है। ओस्से सँदर्भ विच पँजाबी गायकी शैली ‘कली’ जो कि छँद दा इक रूप है अते जिस विच माँ दी महिमा सुचज्जे तरीके नाल गायी जाँदी रही है, उस दी चर्चा लाज़मी हो जाँदी है। ‘कली’ पँजाबी साहित्य विच सख्त नियमाँ अधीन काव्य बंधन दी शैली है। ‘कली’ छँद दी वरतों पँजाबी लोक गायकी विच वी कीती जाँदी है, जित्थे इस नूँ इसदे बहुवचन रूप, ‘कलियाँ’ नाँ तों जाणेया जाँदा है। हालाँकि एह किसे वी गायकी विच इन्नी आम नहीं है, पर पँजाबी सँगीत दी इक खास शैली बन गयी है। ‘कली’ दर असल मेयारी पँजाबी सँगीत दी इक दुर्लभ शैली है।
कुज ही पँजाबी गायकाँ ने ‘कलियाँ’ गायियाँ हन। कुलदीप मानक ‘कलियाँ’ गौण लयी प्रसिद्ध सन।
कुलदीप मानक दा जन्म 15 नवंबर 1951 नूँ पूर्वी पँजाब दे बठिंडा जिले विच, पिता निक्का खान दे घर लतीफ़ मोहम्मद नाँ तों होया। उन्हाँ ने अपनी दसवीं दी पढा़ई पिंड दे स्कूल तों पूरी कीती। अपने शुरुआती जीवन विच कुलदीप मानक इक शौकीन फील्ड हॉकी खिलाड़ी सन। बचपन तों ही उन्हाँ दा झुकाव गौण वल सी अते उन्हाँ दे अध्यापकाँ ने उन्हाँ नूँ गौण अते स्टेज ते प्रदर्शन करन लयी उत्साहित कीता। कुलदीप मानक ने रवायती पँजाबी लोक ‘कलियाँ’ दियाँ सारियाँ सीमावाँ तोड़ दितियाँ। कुलदीप मानक ‘माँ हुँदी है माँ’ गीत वजहों अज वी साढे़ दरमियान ज़िँदा हन। एह गीत हर पँजाबी दे दिल दी धड़कन है। इसदे अलावा ‘दुला भट्टी’ अते ‘सुच्चा सूरमा’ वरगे पँजाबी लोकगीताँ नूँ गौण लयी वी मानक प्रसिद्ध रहे।
कुलदीप मानक दे पिता निक्का खान खुद इक गायक सन। कुलदीप मानक दे पुरखे नाभा दे महाराजा हीरा सिंह दे कीर्तन दे हज़ूरी रागी सन। कुलदीप मानक ने फिरोजपुर दे उस्ताद खुशी मुहम्मद कव्वाल दी रहनुमायी हेठाँ संगीत सीखेया। उसदे बाद मानक ने सिख धर्म अपना लेया अते अपने घर विच श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी दे स्वरूप दा प्रकाश कीता।
गायकी वजहों करियर बनौण लयी मानक बठिंडा छड के लुधियाना जिले विच चले गये अते उन्हाँ ने सीमा-हरचरण ग्रेवाल दी जोड़ी दे नाल गौणा वी शुरू कीता। मानक जद दिल्ली आये ताँ इक सँगीत कँपनी ने उन्हाँ नूँ आधिकारिक तौर ते देखेया अते 17 साल तों वीं घट उम्र विच, उन्हाँ ने उस समय दी प्रसिद्ध गायिका सीमा दे नाल बाबू सिंह मान जिन्हा नूँ मान माराड़ा वाला वी कहँदे हन, उन्हाँ दा लिखेया गीत रिकॉर्ड करन दा मौका वी दिता। बाद विच, उन्हाँ ने कनकवाल दे लेखक दिलीप सिंह सिद्धू दे नाल बठिंडा विच इक दफ़्तर खोलेया, पर ओत्थे ज़्यादा समय तक नहीं रहे अते वापस लुधियाना आ गये। मानक द्वारा गाया गया पहला लोकगीत ‘माँ मिर्ज़े दी बोलदी’ सी। उसदे बाद लेखक हरदेव दिलगीर, जिन्हाँ नूँ देव ठरिके वाला भी केहा जाँदा है, उन्हाँ ने मानक नूँ इक लाइव प्रदर्शन विच वेख के उन्हाँ लयी कई लोक गाथावाँ लिखियाँ।
कुलदीप मानक दा पहला एल्बम-तेरी ख़ातर हीरे, 1973 विच मशहूर कँपनी एचएमवी ने जारी कीता, जिस विच 4 गाने शामिल सन। मानक दे दूजे एल्बम दा नाँ- पँजाब दियाँ लोक गाथावाँ सी। 1976 विच मानक दा पहला एल.पी.-‘इक तारा’ रिलीज़ होया। बाद दे एल्बमाँ विच-‘साहिबाँ दा तरला’ (1978), ‘साहिबा बनी भरावाँ दी’ (1978), ‘माँ हुँदी ए माँ’ (1980), ‘इछराँ ढाहाँ मारदी’, ‘जुगनी याराँ दी’ (1983) अते ‘दो गबरू पँजाब दे’ शामिल हन।
माणक दी आवाज़ बहुपखी सी, इस दा सुबूत एह है कि इक एल्बम ‘साहिबाँ दा तरला’ विच उन्हाँ ने इक गीत दे अर्थ नूँ दरशौन लयी उस गीत नूँ वख-वख पिचाँ अते सुराँ विच गाया।
कुलदीप मानक ने कयी पँजाबी फिल्माँ विच अदाकारी वी कीती अते गाया वी। जिंवें कि ‘सैदाँ जोगन(1979)’, ‘लम्बरदारनी (1980)’ अते ‘बलबीरो भाभी (1981)’। उन्हाँ ने 1983 दी फिल्म ‘सस्सी पुन्नू’ विच वी इक मशहूर गीत गाया जिसदे बोल सन ‘अज्ज धी इक राजे दी’
मानक ने बठिंडे तों आज़ाद मैम्बर वजहों 1996 दियाँलोकसभा चोणा वी लड़ियाँ पर जित नहीं सके। उन्हाँ ने सरबजीत नाल व्याह कीता अते उन्हाँ दे दो बच्चे हन, इक कुड़ी, जिसदा नाँ शक्ति अते इक पुत्तर, जिसदा नाँ युद्धवीर मानक है। एस वेले दोनों व्याहे होये हन। युद्धवीर इक गायक दे रूप विच अपने पिता दे नक्शेकदम ते चल रहे हन।
लंबे समय तक गुर्दे दी बीमारी तों जूझन तों बाद 62 साल दी उम्र विच 30 नवंबर 2011 नूँ डी एम सी हस्पताल लुधियाना विखे कुलदीप मानक दा देहाँत हो गया।
कुलदीप मानक ने पँजाब दियाँ लोक कहानियाँ, प्रेम कहानियाँ अते बहादुराँ दी कहानियाँ नूँ ज़िँदा कीता।
कुलदीप मानक ‘कलियाँ दा बादशाह’ दे नाँ तों जाने जाँदे हन। मानक पँजाबी लोक गायकी दे इक विलखन अते शानदार गायक सन। उन्हाँ दी खास, भारी अते ताकतवर आवाज़ ने उन्हाँ नूँ पँजाब दे सभ्याचारक दृश्य विच इक अमिट स्थान दिता है। उन्हाँ दा नाँ अते सँगीत अज वी लखाँ लोकाँ दे इतिहास विच ज़िंदा है।
-लेखक जाने-माने शायर और आकाशवाणी के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक हैं

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