श्रवण सिंह राठौड़.
आप अपने आप में पर्याप्त हैं। यदि कोई लेबल, संस्थान, पद, राजनीतिक दल, सरकार, ओहदा, व्यापार या कोई उपनाम ही आपका परिचय है तो फिर किसी लेबल के बिना आप कुछ कर ही नहीं सकेंगे। जो भी व्यक्ति केवल किसी लेबल के बल पर रहता है वह कभी गहरे और घनिष्ठ संबंध नहीं बना पाता। पद और लेबल जब आपके पास हो तब विनम्र होकर लोग कमाना सीखें। समय का सदुपयोग करें। इस दौरान ही आपके बारे में धारणाएं बनेंगी। जो जीवन पर्यन्त चलेगी। लेबल से बने ऐसे रिश्ते अस्थाई होते हैं। सो पावर या ओहदे की गर्मी से बौराए नहीं। पद और लेबल अच्छी बात है, लेकिन वो आपके व्यक्तित्व पर सोने पर सुहागा की मानिंद हो। जो आप पर चार चांद की तरह लगे। आपका खुद का अलग अस्तित्व आवश्यक है। देखने में आया है कि पद, लेबल और ओहदे के आधार पर बने मतलब से भरे रिश्तों में आपकी उपयोगिता के आधार पर उतार चढाव आता रहता है। जब आप हकीकत से रूबरू होते हो, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
नौकरी या पावर या ओहदा धारी बहुत से लोग अकड़ में रहते हैं। ऐसे लोग हवा में ही रहते हैं। वो समझते हैं कि दुनिया वो ही चला रहे हैं। क्योंकि तब उनके आगे पीछे चापलूसी करने वाले सेवादारों की फौज होती है। इस वजह से सत्ता के नशे में चूर ऐसा व्यक्ति अच्छे बुरे की पहचान नहीं कर पाता। चापलूसी पसंद की आदत हो जाती है। ऐसे लोग घेरा बना लेते हैं। अच्छे लोग दूर हो जाते हैं या उपेक्षित कर दिया जाता है। आंखों पर पट्टी बंधी होने से दिखना बंद हो जाता है। खुद की तारीफ के सिवा दूसरा सुनना ही नहीं चाहते।। ये लोग जैसे ही रिटायर्ड होते हैं, उनका पद या ओहदा चला जाता है, तो धड़ाम से नीचे गिरते हैं। चापलूस और मौकापरस्त छोड़ कर भाग जाते हैं। पहले वे लोगों को नहीं पहचानते थे अब लोग उनको पहचानने से इंकार कर देते हैं। फिर ऐसे लोगों को बड़े बंगले और चौड़ी सड़कों वाली कालोनियों और पार्कों में अकेले अपने डागी के साथ टामी कम एंड टामी गो करते हुए घूमते देखा जा सकता। तब बहुत देर हो जाती है।
तो क्या करें ?
पद, पैसा, ओहदे आने जाने है। ईश्वर ने आपको इस लायक़ बना रखा है, जिसकी वजह से आपसे कोई अपेक्षा रख रहा हैं, तब बिना एक पल गंवाए उस समय का सदुपयोग कीजिए। कल पता नहीं ऐसा समय दुबारा नहीं आए। फिर हो सकता है कि आप किसी के लिए कुछ करना चाहेंगे, लेकिन ऐसी स्थिति में नहीं होंगे। इसलिए तुरंत भगवान का शुक्रिया अदा कीजिए कि आप लायक हो। आप इस लायक़ बने रहे और लोग आपसे कुछ भले की उम्मीद रख सकें। अगर कोई नियम कायदा आड़े आ रहा है तो भी जनहित और लोगों की सहुलियत को ध्यान में रखकर उसे बदल दीजिए या सिद्धांतों की किताब से उस चौप्टर को ही फाड़ दीजिए। समय किसी का इंतजार नहीं करता।। बिना अपेक्षा रिश्तों का निवेश कीजिए। यक़ीनन आप को बहुत सुकून मिलेगा। धनपशु बनने से बचें।। रिश्तों की पूंजी जमा कीजिए। इसलिए बड़े मन वाले व्यक्ति बनने की राह पकड़िए। ये रास्ता बहुत आगे ले जाएगा। फिर व्यक्ति के आगे पद, ओहदे और लेबल बौने नजर आने लगेंगे। आप यदि एक ऐसे व्यक्ति है जिससे उस लेबल का महत्व बढ़ता है तो फिर आपको उसकी जरूरत ही नहीं है। गहरे और घनिष्ठ संबंधों का श्रीगणेश इसी से होता है।
-लेखक दैनिक भास्कर में पत्रकारिता की लंबी पारी खेलकर अब वकालत पेशे के जरिए जन सेवा में जुटे हुए हैं