कविता: …..मैं गांव-गांव का शिल्पकार

वेदव्यास.

मैं गांव-गांव का शिल्पकार
मानव सपनों का सूत्रधार
मैं करने आया आज सभी का
खुशियों से अभिसार….
मेरे गीतों में गौरव है
मेहनत की मीठी भाषा का
मेरे रंगों में अंकित है
सूरज बहुरंगी आशा का
मैं देश प्रेम का पंथकार
मैं गांव-गांव का शिल्पकार…

मेरे निश्चय में साहस है
मिल-जुलकर कदम बढ़ाने का
मेरे जीवन में लिखा हुआ
इतिहास विजय बलिदानों का
मैं जन जीवन का चित्रकार
मैं गांव-गांव का शिल्पकार…

मेरे सपनों में अर्चन है
संस्कृति के नये विचारों का
भारत माता के चरणों में
अर्पित सुख चांद सितारों का
मैं लोकराज का अर्थकार
मैं गांव-गांव का शिल्पकार…

मेरे आंगन में आभा है
श्रम के नूतन अभियानों की
मेरे सर्जन में महक रही
सुधियां भावुक अरमानों की
मैं भारत का निर्माणकार
मानव सपनों का सूत्रधार
मैं गांव-गांव का शिल्पकार…

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