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हनुमानगढ़ स्थित श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय के स्टूडेंट राजेश ने भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (साई) की ओर से आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स गेम्स में सिल्वर मैडल प्राप्त किया। 19 से 29 फ़रवरी तक आसाम के गुवाहाटी में आयोजित इस इवेंट में फैकल्टी ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन, स्पोर्ट्स एण्ड योगा में बीपीईएस (बैचलर ऑफ़ फ़िजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स) के सेकंड सेमेस्टर के स्टूडेंट् राजेश ने एथलेटिक्स इवेंट्स में तीन हजार मीटर की स्टीपलचेज स्पर्धा में सिल्वर मैडल हासिल किया। स्पोर्ट्स डायरेक्टर डॉ. रविन्द्र सिंह सुमल ने बताया कि राजेश ने 9 मिनट 44 सेकंड में इस उपलब्धि को हासिल किया।
34 आरडब्ल्यूडी रावतसर के किसान परिवार में पैदा होने वाले होनहार स्पोर्ट्सपर्सन राजेश ने शुरुआती दौर में घर की आर्थिक स्थिति के मद्देनजर आर्मी में एक सैनिक के तौर पर भर्ती होने के लिए अपनी तैयारी की! लेकिन मन ही मन स्पोर्ट्स के लिए कसमसाहट कम नहीं थी। यही वो कारण रहा कि आर्मी की तैयारी को राजेश ने एथलेटिक्स की ओर मोड़ दिया और अपनी पूरी ऊर्जा को उसमें लगा दिया। आज परिणाम सबके सामने है। इससे पूर्व राजेश का चयन इसी वर्ष अप्रैल में दुबई में आयोजित एशियन गेम्स-2024 और जुलाई महीने में दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में आयोजित वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चौम्पियनशिप में भी हो चुका है। राजेश ने फोन पर बताया कि अब उसका एक ही सपना है ओलम्पिक में देश के लिए खेलना।
एसकेडियन राजेश की इस उपलब्धि पर गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा, चेयरपर्सन वरुण यादव और डायरेक्टर दिनेश जुनेजा ने बधाई दी है और उसके बेहतरीन प्रदर्शन की भरपूर प्रशंसा करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है। गौरतलब है कि आधुनिक ट्रैक एंड फिल्ड मुकाबलों में तीन हजार मीटर स्टीपलचेज़ ट्रैक इवेंट को बाधाओं और पानी के गड्ढे के साथ पहली बार 19वीं सदी के मध्य में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शुरू किया गया। इसके बाद इसे 1879 में इंग्लिश चैम्पियनशिप में शामिल किया गया। ओलंपिक में, पुरुषों ने 1920 से स्टीपलचेज़ में दौड़ लगाई है, जबकि महिलाओं ने पहली बार 2008 में बीजिंग में ओलंपिक में ही दौड़ लगाई थी।