कुदरत को दीजिए स्वभाव के अनुरूप विकसित होने का अवसर
ओम पारीक.धरती को मानव सभ्यता ने सदियों से ‘मां’ के रूप में संबोधित किया है। यह केवल एक सांकेतिक भाव…
ओम पारीक.धरती को मानव सभ्यता ने सदियों से ‘मां’ के रूप में संबोधित किया है। यह केवल एक सांकेतिक भाव…
ओम बिश्नोई.मित्र से विमर्श चल रहा था, विषय था शिक्षा। उसने तर्क रखा, ‘नो फ्री लंच मित्र! मुफ्त में मिली…
ओम पारीक.मैं अक्सर पल्लू और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों में घूमता हूं। जब आज से आधी सदी पहले के…
एमएल शर्मा.दिन रहा 25 जुलाई 2025, शुक्रवार। यह दिन सूबे के एक स्कूली बच्चों के लिए ‘स्याह काली तारीख; बन…
डॉ. दुलाराम सहारणमानव स्वभाव है कि वह किसी के होने के अहसास से ही पल्लवित-पुष्पित रह सकता है। जरूरी नहीं…
डॉ. अर्चना गोदारा.आजकल कोई भी सेलिब्रिटी या मॉडल कहीं आती या जाती है तो उसके बैग पर एक क्यूट मॉन्स्टर…
डॉ. अर्चना गोदारासोशल मीडिया के इस दौर में व्यक्ति अपनों से बहुत कुछ छुपाता है और परायो को बहुत कुछ…
वेदव्यास.जिस तरह गंगा, यमुना और सरस्वती, भारत में हिंदुत्व का संगम है, उसी तरह योग, भोग और रोग, हमारे जीवन…
ओम पारीक.कभी जब बादल सावन की छतरी तानते थे, जब खेतों की मेड़ों पर हरियाली मुस्कुराती थी, पोखरों और तालाबों…
ओम पारीक.बात 1960 से 1965 के दरम्यान की है। वो समय जब गांव की गलियों में शहरों जैसी चहल-पहल नहीं…