ओम पारीक.कभी जब बादल सावन की छतरी तानते थे, जब खेतों की मेड़ों पर हरियाली मुस्कुराती…
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…..वो महिलाएं जो गांवों की आत्मा थीं
ओम पारीक.बात 1960 से 1965 के दरम्यान की है। वो समय जब गांव की गलियों में…
सपनों की ऊँचाई ही तय करती है जीवन की दिशा
राजेन्द्र सारस्वत.मैं अक्सर यह सोचता हूं कि अगर इस दुनिया में लोगों के भीतर आगे बढ़ने…
अब तो यादों में रह गईं घर की वो चीजें!
ओम पारीक.आज अचानक कुछ पुरानी बातें याद आ गईं। वो घर के औज़ार, जिनके प्रयोग में…
शहरों की शक्ल लेने लगे हैं गांव!
ओम पारीक.कभी गांव का नाम सुनते ही मन में एक चित्र उभर आता था। कच्ची गलियां,…
संयुक्त परिवार यानी संस्कारों की पाठशाला
डॉ. एमपी शर्मा.मेरा बचपन राजस्थान के एक छोटे-से गाँव सिकरोड़ी (तहसील भादरा, तत्कालीन जिला श्रीगंगानगर, अब…
मिथिला में इस दिन विश्राम करता है चूल्हा!
निराला झा.जब अप्रैल की तपती दोपहरों में प्रकृति पसीने से भीगती है, तभी बिहार और मिथिला…
खुशहाली का मंत्र: मकसद बदलो, जिंदगी नहीं!
उच्च पद, अच्छा वेतन, और समाज में मान-सम्मान मिलने के बावजूद व्यक्ति भीतर से खालीपन महसूस…
सावधान! जिंदगी पर भारी बन सकता है तन्हाई का साया
अकेलापन एक अदृश्य मगर घातक पीड़ा है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति को अंदर से तोड़ देती है।…