





ग्राम सेतु डेस्क.
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय स्थित सिंधी धर्मशाला, सिंधी मोहल्ला में पूज्य सिंधी पंचायत एवं भारतीय सिंधु सभा के संयुक्त तत्वावधान में ‘सिंधी बाल संस्कार शिविर’ का भव्य शुभारंभ हुआ। इस शिविर का उद्देश्य सिंधी समाज के नौनिहालों को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना और उन्हें संस्कारवान नागरिक बनाना है। शिविर का उद्घाटन पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष खजान चंद शिवनानी ने भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। अध्यक्ष खजानचंद शिवनानी ने कहा कि जब देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं से दूर हो रहे हैं, ऐसे समय में इस प्रकार के आयोजन अत्यंत आवश्यक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि गर्मी की छुट्टियों को बच्चों के लिए केवल मनोरंजन तक सीमित रखने के बजाय उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। इस शिविर के माध्यम से बच्चों को सिंधी सभ्यता, भाषा, नृत्य, संगीत और परंपराओं की गहराई से जानकारी दी जाएगी, जिससे वे अपने मूल संस्कारों से जुड़े रहें।
भारतीय सिंधु सभा के अध्यक्ष मनोहर लाल बाबानी कहते हैं कि यह शिविर पिछले कई वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है और यह समाज के बच्चों के लिए एक सजीव सांस्कृतिक पाठशाला का कार्य करता है। शिविर में बच्चों को सिंधी भाषा के साथ-साथ डांडिया नृत्य, भजन, गीत, पारंपरिक व्यंजन बनाने की कला और रीति-रिवाजों की व्यावहारिक जानकारी दी जाती है।
इस अवसर पर भारतीय सिंधु सभा राजस्थान प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य कृष्ण लालवानी के मुताबिक, यह शिविर मात्र एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सशक्त सांस्कृतिक आंदोलन है। यह बच्चों में न केवल संस्कारों का बीजारोपण करता है, बल्कि उन्हें अच्छे इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में प्रेरित करता है।
अखिल भारतीय सिंधी समाज के संरक्षक खेमचंद तेजवानी ने इस पहल को बच्चों के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि जब पाश्चात्य जीवनशैली और भाषा का आकर्षण बच्चों को अपनी जड़ों से दूर कर रहा हो, तब ऐसे शिविर हमारी सांस्कृतिक चेतना को जीवित रखने का अनमोल माध्यम बनते हैं।
शिविर प्रभारी वर्षा करमचंदानी एवं विद्या सखीजा ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना और भजन से शिविर की शुरुआत करवाई, जिससे वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और संस्कारमय बन गया। इस अवसर पर सिंधी समाज के अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें मुरलीधर हरवानी, पवन टेकवानी, मुरलीधर सखीजा, अशोक खेमनानी, मोहन भारवानी, सुनील गंगवानी, प्रदीप ज्ञानानी, चंद्र प्रकाश ज्ञानानी, राजकुमार नानकानी आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। सिंधी महिला शिक्षकों में मधु गांधी, अनीता तेजवानी, पूजा बाबानी आदि ने भी कार्यक्रम की सफलता में सक्रिय भूमिका निभाई। इन शिक्षकों द्वारा बच्चों को सिंधी भाषा में मुद्रित किताबें और नोटबुक्स वितरित की गईं, जिनके माध्यम से बच्चों को लिखित रूप में सिंधी भाषा सिखाई जाएगी।
संस्कृति हस्तांतरण का प्रभावशाली माध्यम
आज जब अनेक परिवार अपने बच्चों को आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य संस्कृति की ओर मोड़ रहे हैं, तब यह शिविर अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने का सशक्त संदेश देता है। यह न केवल बच्चों को मनोरंजन के साथ सीखने का अवसर देता है, बल्कि उनमें आत्मगौरव, नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों की भावना भी जागृत करता है। सिंधी बाल संस्कार शिविर वास्तव में उस सुनहरे सेतु की तरह है, जो हमारी पुरातन संस्कृति को नई पीढ़ी तक आत्मीयता और सहजता से पहुँचाता है। पूज्य सिंधी पंचायत और भारतीय सिंधु सभा का यह प्रयास अनुकरणीय है और अन्य समाजों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है।



