



ग्राम सेतु पॉलिटिकल डेस्क.
राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों पर मतदान के बाद पूर्वानुमान कांग्रेसी खेमे में उत्साह का संचार कर रहा है। लगातार दो चुनावों में 25 की 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए तीसरी बार प्रदर्शन आसान नहीं। यूं तो वास्तविक परिणाम चार जून को आएंगे लेकिन पूर्वानुमान के मुताबिक, भाजपा 17 सीटों पर काफी आगे है जबकि कांग्रेस दो सीटों पर। वहीं बाकी छह सीटों पर संघर्ष कड़ा है। बीजेपी मतदान प्रतिशत घटने से परेशान लग रही है। वोटिंग प्रतिशत घटने के कारण गिनाए जा रहे हैं जबकि कांग्रेस इस बात से उत्साहित नजर आ रही है। माना जा रहा है कि 2014 व 2019 के मुकाबले साल 2024 का चुनाव बीजेपी के लिए मुश्किल भरा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि चार जून को आने वाला परिणाम कैसा रहेगा। जहां तक मतदान प्रतिशत का सवाल है, आंकड़ों के अनुसार दूसरे चरण में 64.56 प्रतिशत मतदान हुआ जो फर्स्ट फेज से 6.28 फीसद ज्यादा हैं लेकिन 2019 में 68.42 फीसदी से 3.86 प्रतिशत कम। देखा जाए तो राजस्थान की 25 सीटों पर कुल 61.54 फीसद मतदान हुआ है जो 2019 के 66.34 फीसद से करीब 4.80 फीसद कम है। गत विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो उस वक्त 74.13 फीसद मतदान हुआ था। जाहिर है, 12.13 प्रतिशत वोटिंग घटी है। मतदान प्रतिशत घटना बीजेपी के लिए बेचैनी का सबब है जबकि कांग्रेस इसमें संभावनाएं खोज रही है।
25 सीटों पर पूर्वानुमान
श्रीगंगानगर: लंबे अरसे से भाजपा का कब्जा। सांसद का टिकट काट कर भाजपा ने नए चेहरे पर भरोसा जताया। अनूपगढ़ नगरपरिषद सभापति प्रियंका बलान को प्रत्याशी बनाया। प्रियंका युवा हैं, दलित की बेटी हैं और अरोड़ा परिवार की पुत्रवधू। महिला होने का लाभ मिला। कांग्रेस ने राष्टीय सचिव कुलदीप इंदौरा को उम्मीदवार बनाया। दोनों का लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर पहला चुनाव। माना जा रहा है कि भाजपा मजबूत स्थिति में रहेगी।
बीकानेर: आरक्षित सीट पर पूर्व आईएएस अर्जुनराम मेघवाल काबिज हैं। उनका यह चौथा चुनाव है। कांग्रेस के गोविंदराम मेघवाल से मुकाबला है। कांग्रेस के पास परम्परागत वोटर होने के बावजूद भाजपा मजबूत स्थिति में है।
चूरू: भाजपा ने दो बार सांसद रहे युवा नेता राहुल कस्वां का टिकट काटा। पैरा ओलंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया को उम्मीदवार बनाया। राहुल ने सियासी राह बदलते हुए कांग्रेस की ओर रुख किया। भाजपा का भितरघात का डर है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जा सकते हैं। कांग्रेस यहां भाजपा से कड़ी टक्कर में।
सीकर: कांग्रेस ने गठबंधन धर्म निभाते हुए यहां से माकपा नेता अमराराम को मैदान में उतारा। भाजपा के लिए एंटी इनकमबैंसी फैक्टर परेशानी का सबब है। बावजूद इसके इस सीट से दोनों दलों के बीच बेहद कांटे का मुकाबला है।
झुंझुनूं: बीजेपी का कब्जा होने के बावजूद कांग्रेस के बृजेंद्र ओला मजबूत स्थिति में हैं। माना जा रहा है कि यह सीट भाजपा गंवाने की स्थिति में है।
जालोर: पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का यह दूसरा चुनाव है। पिछला चुनाव जोधपुर से हारने के बाद इस बार वे जालोर आए लेकिन यहां पर भी राह आसान नहीं। बावजूद इसके परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
झालावाड़-बारां: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का क्षेत्र है। क्षेत्र के लोगों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जा रही है। इसलिए यह चुनाव दुष्यंत सिंह ही जीतेंगे, इसमें दो राय नहीं।
जोधपुर: भाजपा से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने प्रचार के तरीके से बीजेपी में बेचैनी पैदा कर दी। बावजूद इसके गजेंद्र सिंह सीट निकाल लेंगे, ऐसा माना जा रहा है।
चित्तौड़गढ़: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का क्षेत्र है। बड़े नेताओं की सक्रियता और मेहनत से स्थिति बेहतर। तमाम आशंकाओं के बीच जोशी चुनाव जीतने की स्थिति में बताए जा रहे हैं।
भीलवाड़ा: कांग्रेस ने ऐन वक्त पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को मैदान में उतारा। इससे वे तैयारी नहीं कर पाए। आरएसएस कैडर के दामोदर अग्रवाल पहले से तैयारी में थे। ऐसे में उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
बाड़मेर: निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी चर्चा में रहे। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और आरएलपी से कांग्रेस में आए उम्मेदाराम बेनीवाल को भितरघात का खतरा। यहां पर जातीय समीकरण हावी है। तीनों ही प्रत्याशी मजबूत स्थिति में हैं, ऐसे में कौन जीतेगा, कहना मुश्किल है।
दौसा: कांग्रेस से विधायक मुरारी लाल मीणा मजबूत स्थिति में माने जा रहे हैं। यह क्षेत्र पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का है। पायलट यह सीट निकालने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे थे। ऐसे में अगर यह सीट कांग्रेस जीतती है तो पायलट का कद बढ़ेगा। वैसे भी कांग्रेस की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
भरतपुर: बीजेपी और कांग्रेस के लिए यहां पर कांटे का मुकाबला माना जा रहा है। जाट आरक्षण के कारण यहां पर मतदान प्रतिशत घटा है। ऐसे में परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।
करौली-धौलपुर: विधानसभा चुनाव परिणाम के लिहाज से देखें तो यहां पर कांग्रेस की स्थिति अच्छी है। लेकिन उम्मीदवार बाहरी होने से दिक्कत है। बावजूद इसके लिए कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला है, ऐसे में परिणाम किधर भी जा सकता है।
जयपुर: शहरी सीट पर बीजेपी मजबूत मानी जाती रही है। तमाम संभावनाओं और आशंकाओं के बावजूद यहां पर बीजेपी मजबूत मानी जा रही है।
जयपुर: ग्रामीण सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच जबरदस्त टक्कर है। कांग्रेस का ऐन वक्त पर टिकट बदलने से आपसी कलह तेज हुई। वैसे भी बीजेपी मजबूत है। ऐसे में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी, संदेह है।
अलवर: बाहरी और स्थानीय का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में। भाजपा से केंद्रीय मंत्री मैदान में। भाजपा जीतने की स्थिति में हैं
नागौर: यह सीट जातिगत समीकरण में उलझी है। वोट स्विंग पर निर्भर करेगा यहां का परिणाम। भाजपा-कांग्रेस में बराबर की टक्कर है। ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल का सियासी भविष्य तय करने वाला होगा परिणाम।
अजमेर: कांग्रेस ने डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया। चौधरी ने पशुपालकों को साधा लेकिन बाकी पर प्रभाव नहीं छोड़ पाए। मतदान प्रतिशत कम रहने के बावजूद भाजपा मजबूत मानी जा रही है।
टोंक-सवाई माधोपुर: भाजपा का विजय रथ आगे बढ़ेगा, कहा नहीं जा सकता। यहां पर हार-जीत का अंतर कम वोटों का रहता है। कांग्रेस ने जबरदस्त टक्कर दी है, इसलिए चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं।
पाली: बीजेपी की जबरदस्त पैठ वाली सीट है। भाजपा के स्थानीय तो कांग्रेस के बाहरी प्रत्याशी की चर्चा रही। कम पोलिंग असर डालेगी। बीजेपी जीतने की स्थिति में है लेकिन मतों का अंतर कम हो सकता है।
कोटा: लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के लिए चुनौतीपूर्ण रहा चुनाव। कांग्रेस ने भाजपा से आए पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल को टिकट देकर बीजेपी को सांसत में डाला। फिर भी मोदी फैक्टर के कारण बिड़ला सफल होंगे, ऐसा माना जा रहा है।
उदयपुर: भाजपा का बेस मजबूत रहा है।कम पोलिंग से भी कांग्रेस मुकाबले में नहीं लग रही। सरकार विरोधी लहर का असर नहीं दिखा।
राजसमंद: उम्मीदवार का पाला बदलना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह रहा। मतदान प्रतिशत घटने का असर नहीं। भाजपा जीतने की स्थिति में नजर आ रही।
बांसवाड़ा: आदिवासी बेल्ट पर कांग्रेस से बीजेपी में आए महेंद्रजीत मालवीया की सक्रियता चर्चा का विषय। बीजेपी सीट निकालने की स्थिति मे ंलग रही।