





डॉ. एमपी शर्मा.
आज की डिजिटल दुनिया में जब हर सवाल का जवाब गूगल या यूट्यूब पर चंद सेकंड में मिल जाता है, तब बीमारी के इलाज को भी लोग इसी आसान रास्ते से खोजने लगते हैं। सिर में हल्का दर्द हुआ नहीं कि इंटरनेट पर “हॉम रेमेडी“, बुखार आया नहीं कि “यूट्यूब डॉक्टर” हाज़िर। लेकिन क्या ये तरीका सही है? क्या बिना किसी विशेषज्ञ से सलाह लिए दवा खाना समझदारी है या सिर्फ एक जोखिम भरा जुआ? अक्सर देखा गया है कि लोग इंटरनेट, सोशल मीडिया या जान-पहचान वालों की सलाह पर दवाएं लेना शुरू कर देते हैं। बिना यह समझे कि हर शरीर अलग होता है, हर बीमारी की प्रकृति अलग होती है, और इलाज केवल जांच के बाद ही तय किया जा सकता है। यह लापरवाही कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस आलेख में हम समझेंगे कि क्यों बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेना खतरनाक है, सोशल मीडिया पर वायरल स्वास्थ्य सुझावों से कैसे बचें, और सही इलाज की दिशा क्या होनी चाहिए।
आजकल गूगल, यूट्यूब और सोशल मीडिया के जमाने में लोग किसी भी बीमारी या लक्षण का इलाज खुद ही खोजने लगते हैं। अक्सर देखा गया है कि बिना चिकित्सक से परामर्श लिए लोग खुद ही दवा खरीद लेते हैं, कई बार किसी जानने वाले या सोशल मीडिया पर देखी गई जानकारी के आधार पर दवा खा लेते हैं। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जो आपके स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुँचा सकती है। बिना डॉक्टर की सलाह दवा लेने के अनेक खतरे हैं।

हर बीमारी की दवा अलग होती है। एक ही लक्षण कई बीमारियों में हो सकते हैं। बिना उचित जांच के ली गई दवा बीमारी को बढ़ा सकती है। हर व्यक्ति की शारीरिक संरचना अलग होती है। कोई दवा किसी को सूट करती है, किसी को नहीं। बिना परीक्षण के ली गई दवा से एलर्जी, खुजली, चक्कर या सांस की दिक्कत हो सकती है, यहां तक कि जान भी जा सकती है। दर्दनाशक या बुखार की गोली लेने से कभी-कभी गंभीर रोग (जैसे डेंगू, मलेरिया, कैंसर) का असली कारण छिप जाता है और देर से पता चलता है, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है। जब लोग बिना ज़रूरत के एंटीबायोटिक लेते हैं तो शरीर में बैक्टीरिया उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। इससे भविष्य में वही दवा असर नहीं करती और साधारण संक्रमण भी जानलेवा बन सकता है। किडनी, लिवर, हार्ट जैसी बीमारियों में बिना परामर्श ली गई दवा इन अंगों को स्थायी नुकसान पहुँचा सकती है।
सोशल मीडिया पर देखकर दवा लेना यानी भ्रमजाल
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही “घरेलू नुस्खे”, “गुप्त रोग की रामबाण दवा”, “3 दिन में वजन घटाएं” जैसी पोस्टों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता। कई बार ये विज्ञापन झूठे होते हैं और लोगों के साथ धोखाधड़ी भी करते हैं। ये न सिर्फ पैसे का नुकसान करते हैं बल्कि शरीर को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं।

कैसे बचें इस खतरनाक आदत सेः
-बीमार महसूस हो तो योग्य डॉक्टर से मिलें।
-दवा हमेशा पंजीकृत मेडिकल स्टोर से डॉक्टर के पर्चे पर ही लें।
-गूगल या सोशल मीडिया को ज्ञान का साधन मानें, इलाज का नहीं।
-दूसरों के बताए इलाज को अपने ऊपर लागू न करें।
-बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को बिना सलाह दवा न दें।
सार, बीमारी का सही इलाज तभी संभव है जब आप प्रशिक्षित डॉक्टर की सलाह लें। स्वयं इलाज करना या सोशल मीडिया की सलाह मानना अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। याद रखें, जान है तो जहान है, और डॉक्टर ही सही दिशा में इलाज का मार्गदर्शक है।
-लेखक सीनियर सर्जन और आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं




