सीएम ने मान ली विधायक गणेशराज की बात तो किसानों को मिल पाएगी बड़ी राहत

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ग्राम सेतु ब्यूरो.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल की सलाह मान ली तो भाखड़ा प्रणाली के न्यू फतेहगढ़ माइनर क्षेत्र के किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। विधायक ने इस आशय को लेकर सीएम से मुलाकात की और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत करवाया। इतना ही नहीं, विधायक गणेशराज बंसल ने मुख्यमंत्री को न सिर्फ तकनीकी बल्कि कानूनी पहलुओं की भी जानकारी दी। उन्होंने बकायदा पत्र लिखकर आग्रह किया कि फतेहगढ़ न्यू माइनर क्षेत्र के किसानों की इस बड़ी समस्या का समाधान जरूरी है ताकि उन्हें राहत मिल सके। दरअसल, न्यू फतेहगढ़ माइनर के तहत अनकमांड से कमांड हुए रबके पर देय अंतर राशि को लेकर पेंच है। विधायक ने सीएम को बताया कि
हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाखड़ा नहर परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2011 में नवनिर्मित न्यू फतेहगढ़ माइनर (एफटीजी) के निर्माण से पूर्व में आवंटित कुल 2050.05 हैक्टेयर भूमि अनकमाण्ड कृषि भूमि कमाण्ड में तब्दील हुई थी। लेकिन इसके रेट को लेकर विसंगतियां हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है।


विधायक गणेशराज बंसल के मुख्य सलाहकार अमित माहेश्वरी बताते हैं कि विधायक के पास यह मामला आया तो उन्होंने किसानों की समस्या को शिद्दत से महसूस किया और फौरन मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाने का निर्णय किया। इसके लिए तकनीकी और कानूनी जानकारी एकत्रित की गई और फिर सीएम से मिलकर उनका ध्यान आकर्षित किया गया। विधायक ने सीएम को बताया कि अनकमाण्ड से कमाण्ड होने पर देय अन्तर राशि के संबंध में राजस्थान कोलोजाइजेशन (भाखड़ा प्रोजेक्ट गवर्नेंट लेंड्स अलॉटमेंट सेल) रूल्स, 1955 का नियम 17(3) उल्लेखनीय है। नियम, 1955 के नियम 17(3) के अनुसार अनकमाण्ड आवंटित भूमि के कमाण्ड में तब्दील होने पर आवंटी द्वारा प्रथम 25 बीघा कमाण्ड भूमि के लिए कमाण्ड भूमि के लिए निर्धारित आरक्षित मूल्य में से पूर्व में अनकमाण्ड भूमि के आवंटन बाबत भुगतान की गई राशि का समायोजन कर अन्तर राशि देय है और शेष कमाण्ड भूमि के लिए निर्धारित बाजार मूल्य में से पूर्व में अनकमाण्ड भूमि के आवंटन बाबत भुगतान की गई राशि का समायोजन कर अन्तर राशि देय है।
विधायक गणेशराज बंसल के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया है जिसके अनुसार नहरी भूमि (कमाण्ड) के लिए आरक्षित मूल्य 32000 रुपए प्रति बीघा तथा अनकमाण्ड के लिए 6000 रुपए प्रति बीघा निर्धारित किया गया है। राजस्व विभाग द्वारा नवसर्जित सिंचित रकबे में चक 14 एस.एस.डब्ल्यू. व चक 10 एस.एस.डब्ल्यू. की भूमि को छोडकर शेष भूमि के भू-स्वामियों को आरक्षित मूल्य 32000 रुपए प्रति बीघा की दर से पूर्व में आवंटित अनकमाण्ड भूमि की आवंटन राशि रूपये 50 रुपए प्रतिबीघा का समायोजन कर मांग-पत्र जारी किए गए है। लेकिन चक 14 एस.एस.डब्ल्यू. व 10 एस.एस.डब्ल्यू, के भूस्वामियों को 128000 रुपए प्रति बीघा की दर से पूर्व में आवंटित अनकमाण्ड भूमि की आवंटन राशि 50 रुपए प्रतिबीघा का समायोजन कर मांग पत्र जारी किए गए है।
विधायक गणेशराज बंसल ने बताया कि इस संबंध में विभाग से स्पष्टीकरण चाहने पर अवगत करवाया गया कि चक 14 एस.एस.डब्ल्यू. व चक 10 एस.एस.डब्ल्यू. की भूमि शहर की पैराफेरी में अवस्थित होने के कारण राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राशि चार गुणा देय है।
विधायक ने बताया कि अधिसूचना के अनुसार रूल्स 1955 के अन्तर्गत जोहड एवं शहर की पैराफेरी क्षेत्र में नवीन आवंटन आरक्षित मूल्य के चार गुणा दर पर किए जाने का प्रावधान किया गया है। जबकि हस्तगत प्रकरण में अनकमाण्ड से कमाण्ड में तब्दील हुए रकबे की नियम, 1955 के नियम 17 (3) के अन्तर्गत आरक्षित मूल्य से अन्तर राशि का भुगतान किया जाना है और आरक्षित मूल्य अधिसूचना दिनांक 28.04.2001 के बिन्दु संख्या-1 में निर्धारित की गई है। राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार नहरी भूमि (कमाण्ड) के लिए आरक्षित मूल्य 32000 रुपए प्रति बीघा तथा अनकमाण्ड के लिए रूपये 6000 रुपए प्रति बीघा निर्धारित किया गया है।
विधायक का यह है तर्क
विधायक ने बताया कि जब कमाण्ड भूमि का आरक्षित मूल्य अधिसूचना दिनांक 28.04.2001 के अनुसार 32000 रुपए प्रति बीघा आंकलित किया जा रहा है तो पूर्व में आवंटित अनकमाण्ड भूमि की आवंटन राशि का समायोजन भी अधिसूचना दिनांक 28.04.2001 के अनुसार 6000 रुपए प्रतिबीघा की दर से किया जाना न्यायसम्मत है। उपरोक्तानुसार प्रभावशील विधि के प्रावधानों के अनुसार नवसर्जित कमाण्ड रकबे पर 26000 रुपए प्रतिबीघा की दर से अन्तर राशि देय है। इसलिए हनुमानगढ विधानसभा क्षेत्र में भाखड़ा नहर परियोजना के अन्तर्गत वर्ष 2011 में नवनिर्मित न्यू फतेहगढ माईनर (एफ.टी. जी.) के निर्माण से अनकमाण्ड से कमाण्ड में तब्दील हुई भूमि पर राजस्थान कोलोजाइजेशन रूल्स 1955 के नियम 17 (3) के अन्तर्गत देय अन्तर राशि 26000 रुपए प्रतिबीघा की दर से मांग पत्र जारी किए जाने हेतु आदेश प्रदान करने की जरूरत है ताकि किसानों को राहत मिल सके।

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