




ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में एथनॉल प्लांट से जुड़े विवाद ने पिछले दो दिनों में हालात बदल दिए हैं। 10 दिसंबर की शाम को जो माहौल हिंसक हुआ, 11 दिसंबर की सुबह उसी जमीन पर सन्नाटा और चौकन्नी निगाहें दिखाई दे रही हैं। बाजार खुले हैं, लेकिन ग्राहकी न के बराबर है। दुकानदार बैठे हैं, पर आवाजाही बेहद कम। पूरा कस्बा एक तरह से दम साधे हुए है। पुलिस हर चौराहे, हर गली और हर मौके पर नजर आ रही है। जिले में करीब 1500 जवान तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति पर तुरंत नियंत्रण किया जा सके। प्रशासन अब कोई भी चूक नहीं दोहराना चाहता, जिसने कल कानून व्यवस्था को संकट में डाला था।
टिब्बी और आसपास के क्षेत्र में भीड़ न बढ़ने देने के निर्देश स्पष्ट हैं। बाहर से आने वाले नेताओं और किसानों को रोका जा रहा है। श्रीकरणपुर विधायक और श्रीगंगानगर कांग्रेस जिलाध्यक्ष रूपिंदर सिंह कुन्नर को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अगले कदम में क्या होने वाला है, इस पर प्रशासन सख्त पहरा दे रहा है। इंटरनेट आज भी बंद है। गांवों में खबरें आवाजों और अंदाज़ से आगे बढ़ रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि राठीखेड़ा फैक्ट्री के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवार रातोंरात घर छोड़ गए हैं। उनका कहना है कि पुलिस कार्रवाई के डर से लोग गांव से निकल गए, जबकि कुछ लोगों को हिरासत में लिए जाने की बात भी सामने आ रही है। मामले की जड़ ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड के उस प्लांट से जुड़ी है, जो राठीखेड़ा में 40 मेगावाट का अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट लगा रही है। कंपनी का दावा है कि यह प्लांट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल कार्यक्रम को मजबूत करेगा। सितंबर 2024 से जून तक विरोध शांत तरीके से चलता रहा, लेकिन जुलाई 2025 आते-आते विरोध तेज हुआ। कंपनी द्वारा बाउंड्री वॉल बनाने से किसानों में नाराजगी बढ़ी। 19 नवंबर को पुलिस सुरक्षा में निर्माण शुरू हुआ तो आंदोलन और भड़का। किसान नेता महंगा सिंह सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। अगले दो दिनों में लगभग 67 किसानों ने गिरफ्तारी दी। हालात पहले से तनावपूर्ण थे।

10 दिसंबर की दोपहर टिब्बी एसडीएम कार्यालय के सामने बड़ी सभा हुई। भीड़ का जोश और नाराजगी दोनों चरम पर थे। करीब .3.11 बजे किसान ट्रैक्टर लेकर राठीखेड़ा फैक्टरी साइट पर पहुंच गए। बैरिकेड तोड़ दिए गए और पुलिस से भिड़ंत शुरू हो गई। टकराव बढ़ता गया, कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए, आगजनी हुई और पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बल का प्रयोग किया। रबर बुलेट और आंसू गैस तक चलानी पड़ी। देर शाम तक हालात काबू में तो आ गए, लेकिन तनाव वहीँ का वहीं था।
रात को बड़ी संख्या में किसान टिब्बी स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में रुके। कई घायल थे, जिनका वहीं उपचार हुआ। स्थानीय नेता और किसान आज आंदोलन की नई रणनीति बनाने में जुटे हैं। दूसरी तरफ, राठीखेड़ा में फैक्ट्री के पास पुलिस का कड़ा पहरा जारी है। बीकानेर रेंज के आईजी भी बुधवार रात मौके पर पहुंचे और हालात का जायजा लिया। गुरुवार सुबह राठीखेड़ा और आसपास का इलाका खाली-खाली नजर आया। खेतों के रास्ते भी सूने पड़े थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई और डर की वजह से कई गांवों में परिवार अस्थायी रूप से घर छोड़कर चले गए हैं। प्रशासन फिलहाल सुरक्षा पर फोकस किए हुए है। हनुमानगढ़ कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव का कहना है कि लोगों ने बुधवार को कानून अपने हाथ में लिया, जबकि फैक्ट्री का प्रोजेक्ट पूरी तरह वैध अनुमति के साथ चल रहा है। यह प्रोजेक्ट 2022 में ‘राइजिंग राजस्थान’ के दौरान स्वीकृत हुआ था। पुलिस तैनाती, चौकन्ना माहौल और गांवों का सन्नाटा, टिब्बी की हवा में हलचल तो कम है, लेकिन बेचौनी अभी भी तैर रही है। अगले कुछ दिनों में हालात किस दिशा में जाएंगे, यह किसान नेताओं की रणनीति और प्रशासन की कार्रवाई पर निर्भर करेगा।


