




ग्राम सेतु ब्यूरो.
राजस्थान प्रदेश महिला कांग्रेस ने अपनी नई कार्यकारिणी की पहली सूची जारी कर दी है। महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सारिका सिंह के नेतृत्व में घोषित इस टीम में 9 उपाध्यक्ष और 3 महासचिव शामिल किए गए हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के राजनीतिक रूप से सक्रिय जिले हनुमानगढ़ को इस बार कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला, जिससे जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में गहरी नाराजगी देखी जा रही है।
महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार, 9 महिलाओं को प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, इनमें प्रियंका चौधरी अजमेर, वंदना मीना-सवाई माधोपुर, भगवती गुर्जर-दौसा, निकिता हाड़ा-कोटा, सुशीला सिंवर-बीकानेर, रचना समलेटी-दौसा, प्रियंका नंदवाना-बारां, लीना शर्मा-धौलपुर व मंजू शर्मा-सवाई माधोपुर शामिल हैं। वहीं, 3 महिलाओं को प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें नीरू चौधरी-बीकानेर ग्रामीण, अनीता परिहार -जोधपुर व रुबीना-जोधपुर शामिल हैं।
नई नियुक्तियों पर प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सारिका सिंह ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘राजस्थान प्रदेश महिला कांग्रेस की नव-नियुक्त पदाधिकारियों एवं जिलाध्यक्षों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप सभी अपने नए दायित्वों का निर्वहन पूरी निष्ठा, ईमानदारी और उत्कृष्ट नेतृत्व के साथ करेंगे।’
हनुमानगढ़ की उपेक्षा पर गरमाई राजनीति
प्रदेश के अन्य जिलों को प्रतिनिधित्व मिलने के बावजूद हनुमानगढ़ जैसे राजनीतिक रूप से जागरूक और सक्रिय जिले को नई कार्यकारिणी में जगह नहीं मिलना चर्चा का विषय बन गया है। कांग्रेस के स्थानीय महिला कार्यकर्ताओं और महिला कार्यकर्ताओं ने इस पर गहरा असंतोष व्यक्त किया है। एक नेत्री ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर ‘ग्राम सेतु डॉट कॉम’ से कहा, ‘हनुमानगढ़ हमेशा से कांग्रेस की नीतियों का सशक्त समर्थन करता रहा है। यहां की महिलाएं संगठन में लगातार सक्रिय रही हैं। इसके बावजूद जिला पूरी तरह उपेक्षित रहना दुर्भाग्यपूर्ण है।’
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस संगठन में इस तरह का क्षेत्रीय असंतुलन आने वाले समय में अंदरूनी गुटबाजी को बढ़ावा दे सकता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में हनुमानगढ़ जिले की कई सीटों पर कांग्रेस को कड़ी टक्कर मिली थी और कुछ सीटों पर पराजय का सामना भी करना पड़ा था। ऐसे में संगठनात्मक नियुक्तियों में संतुलन की अपेक्षा और भी अधिक बढ़ जाती है।
हनुमानगढ़ शहर से जुड़े एक युवा कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यदि संगठन निचले स्तर पर सक्रिय कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करता रहा, तो इसका असर जमीनी मजबूती पर पड़ेगा। कांग्रेस को हनुमानगढ़ में पुनर्गठन की आवश्यकता है, न कि उपेक्षा की नीति की।’ हालांकि यह पहली सूची है और संगठन विस्तार की संभावना अभी शेष है, लेकिन हनुमानगढ़ जिले को लेकर उठे सवालों से महिला कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में दूसरी सूची जारी कर इस असंतुलन को कैसे संतुलित किया जाता है।



