



रूंख भायला.
राजी राखै रामजी! राजस्थानी रै जूनै साहित में सोरठो अेक चावी ठावी विधा है। इण बाबत कहीज्यो है-
सोरठियो दूहो भलो, भलि मरवण री बात
जोबन छाई धण भली, तारां छाई रात
दो लैणां री इण विधा में भोत सो रचाव है, जिको लोक में सराइज्यो है। आं सोरठां री ताकत कित्ती हो सकै, इतिहास में इण बात अलेखूं परमाण लाधै। आज इस्यै ई अेक परमाण ‘चेतावणी रा चूंठिया’ री बात करां जिकी आपां नै सबद सगति री पिछाण करावै। साची बूझो तो अे ‘चेतावणी रा चूंठिया’ राजस्थानी साहित री हेमाणी है। अे चूंठिया कुण अर क्यूं रच्या, इण रै लारै अेक गै’रै तत री बात है।
1903 में अंग्रेजां रो राज, लार्ड कर्जन बठै राजसी ठाठ-बाट सूं अेक दरबार रो आयोजन राख्यो जिण में हिंदुस्तान भर रै राजावां नै आवण रो नूंतो दियो। उदयपुर रा महाराणा फतैसिंग ई इण दरबार में नूंतीज्या पण राजपुताणै में क्रांति रै आगीवाणां नै मेवाड़ धणी रो इण दरबार में जावणो जच नीं रैयो हो। हिंदवाणै कुळ रो धणी अंगरेजां रै दरबार में मुजरो करै, आ ओपती बात कोनी। बान्नै कियां ई रोकां, इण सारू कीं आगीवाणां आपसरी में बंतळ करी। मळसीसर रा ठाकर भूरसिंग, जोबनेर रा ठाकर करणसिंग अर राव गोपालसिंग खरवा तै करी कै क्रांतिदूत केसरीसिंग बारहठ इण बाबत महाराणा फतैसिंग सूं बात करै। केसरीसिंग बारहठ रो परिवार मरूधरा रै इतिहास में अेक न्यारी पिछाण राखै, बां बाबत अेक पूरी हथाई फेर कदेई…..।

इत्तो जाणल्यो, केसरीसिंग बारहठ क्रांति रा आगीवाण तो हा ई, कवि हिड़दै रै साथै डिंगल रा ई चोखा जाणीजाण हा। बां महाराणा फतैसिंग नै चेतावण सारू 13 सोरठा लिख्या जिका इतिहास में ‘चेतावणी रा चूंठिया’ नांव सूं अमर होग्या। बारहठ सा आं सोरठां नै महाराणा तंई पुगावण री तजबीज बिठाई। दिल्ली जावती बेळा महाराणा फतैसिंग कन्नै मारग में जद अे सोरठा पूग्या। जद बां आं सोरठां नै बांच्या तो बान्नै आपरै कुळ, बडेरां रा काण कायदा अर मेवाड़ री मान मरजादा चेतै आई। सबदां री ताकत अर आं सोरठां रो सत इत्तो गै’रो हो कै महाराणा फतैसिंगजी तै करी, अब दिल्ली दरबार में नीं जावां, अर बै अधबिच्चाळै सूं ई फुरग्या। ‘हेत री हथाई’ में आज अे सोरठा सणै अरथाव बांचो दिखाण-
- पग पग भम्या पहाड़, धरा छोड राख्यो धरम।
(ईसूं) महाराणा’र मेवाड़, हिरदे बसिया हिन्द रै।।
दुखां अर अबखायां बिच्चाळै ई मेवाड़ रा महाराणा धरम नीं छोड़्यो, मातभौम रै माण सारू बै सदांई जूझता रैया। इणी कारणै बै हिंदुस्तानी जन जन रै हिड़दै में बसै ! - घणा घलिया घमसांण,(तोई) राणा सदा रहिया निडर।
(अब) पेखंतां, फरमाण हलचल किम फतमल ! हुवै।।
मेवाड़ में अगणित जुद्ध होया, तोई महाराणा मेवाड़ कदैई पग पाछा नीं दिया, सदांई निडर रैया। पण आज घड़ी दिल्ली रै अेक छोटै सै फरमाण सूं महाराणा कियां आकळ-बाकळ होग्या ! - गिरद गजां घमसांण नहचौ धर माई नहीं।
(ऊ) मावै किम महाराणा, गज दो सै रा गिरद में।।
मेवाड़ जिका जिका जुद्ध लड़्या बांरै मांय हजारूं हाथी अर अणगिण जोधा होवता, आ धरती बां खातर छोटी पड़ जावती। बै महाराणा आज दो सौ गज रै दिल्ली दरबार में कियां पूरा आवैला ? सोचो दिखाण ! - ओरां नै आसान, हांका हरवळ हालणो।
(पणा) किम हालै कुल राणा, (जिण) हरवळ साहां हंकिया।।
दूजै राजावां सारू तो भोत सोरो है कै बान्नै कोई हांक’र आगली पांत में बिठाय देवै पण महाराणा मेवाड़ नै उण आगली पांत में बैठणो कियां सोभा देवलो जिकां रै कुळ रै राजावां तो बादसाही फौजां तकात री आगली पांत नै तगड़’र भगाया है ! - नरियंद सह नजरांण, झुक करसी सरसी जिकां।
(पण) पसरैलो किम पाण, पाणा छतां थारो फता।।
दूजा राजा जद अंगरेजी सरकार सामीं मुजरो करैला, तो फेरूं ई ओपसी क्यूंकै बै तो सदांई लुळता आया है, पण महाराणा मेवाड़ रा बै हाथ जिका किणी सामीं ळुळ’र जुहार नीं करी, आज मुजरै सारू कियां उठैला ! - रूसिर झुकिया सह शाह, सींहासण जिण सम्हने ।
(अब) रळनो पंगत राह, फाबै किम तोने फता ! ।।
हे फतैसिंग! जिण सिसोदिया कुळ रै सिंघासन सामीं दूजा राजा महाराजा सीस नुवांवता हा, बो कुळ आज सीस नवावतै राजावां भेळै बैठै तो किसी’क सोभा होसी ! - सकल चढावे सीस , दान धरम जिण रौ दियो।
सो खिताब बखसीस , लेवण किम ललचावसी।।
जिणां रो दियो दान, बगसीस अर जागीरां लोग आपरै माथै लगाय’र लेवै बै महाराणा आज खुद अंगरेजी राज सूं ‘स्टार ऑफ इंडिया’ रो खिताब लेवण सारू कियां ललचायग्या! - देखेला हिंदवाण, निज सूरज दिस नह सूं ।
पण “तारा” परमाण, निरख निसासा न्हांकसी ।।
हे फतैसिंग ! हिंदवाण री जनता आपनै हिंदुवा सूरज मानै पण बा जद आपरी छाती पर अंगरेजी राज रो तारो ‘स्टार ऑफ इंडिया’ टंगेड़ो देखैली तो आपरी कूंत सूरज सूं करसी अर घणी लाजां मरैली ! - देखे अंजस दीह, मुळकेलो मनही मनां ।
दंभी गढ़ दिल्लीह , सीस नमंतां सीसवद ।।
जद दिल्ली रो राज हिंदवा सूरज फतैसिंग नै मुजरो करतो देखसी तो मद में चूर लार्ड करजन घणो राजी होसी कै जिण मेवाड़ रा धणियां किणी रै आगै जुहार नीं करी बै आज म्हां सामीं मुजरो कर रैया है ! - अंत बेर आखीह, पताल जे बातां पहल ।
(वे) राणा सह राखीह, जिण री साखी सिर जटा ।
महाराणा प्रताप आपरै छेकड़लै बगत में मातभौम री रूखाळ सारू जिकी सीख दी बां री पालना आपरै सगळै पुरखां करी है। आपरा लाम्बा केस ई इण बात रो परमाण है। प्रताप री सीख ही, किणी रै आगै झुकणो नीं, दिल्ली नै कर नीं देवणो, केस नीं कटावणा, पत्तळां में जीमणो। - “कठिण जमानो” कौल, बांधै नर हीमत बिना ।
(यो) बीरां हंदो बोल, पातल सांगै पेखियो ।।
हे महाराणा ! बगत तो भोत दोरो है, इण बगत में कौल अर बचनां री पालणां हिम्मत राख्यां बिना पूरी नीं होवै, पण सूरवीरां सारू तो बचन ई सैं सूं मोटो होवै, महाराणा सांगा, कुम्भा अर प्रताप सिरखां नै लोगां परख्यो है ! - अब लग सारां आस, राण रीत कुळ राखसी।
रहो सहाय सुखरास, एकलिंग प्रभु आप रै ।।
अबै सगळां री आस अेक ई है कै राणा फतैसिंग आपरै कुळ री रीत निभावैला अर किणी रै आगै नीं झुकैला। इण काम में प्रभु अेकलिंगजी आपरै साथै होसी अर सहाय करसी। - मान मोद सीसोद, राजनित बळ राखणो ।
(ईं) गवरमेन्ट री गोद, फळ मिठा दिठा फता ।।
हे महाराणा ! राजनीतिक ताकत सारू आप जिण सरकार री गोदी में बैठणो चावो अर मीठै फळ री आस राखो, बै मीठा कोनी खाटा है !
आज री हथाई सूं सीख लेवणी चाइजै कै सबद री आपरी साख होवै। जिण ढाळै महाराणा फतैसिंग सबदां रो मोल पिछाण्यो आप भी पिछाणो। बाकी बातां आगली हथाई में, आपरो ध्यान राखो, रसो अर बसो….।
-लेखक राजस्थानी व हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं




