गग्गा गोरी गाय

डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’
हथाई में आज बात करस्यां राजस्थानी ‘मुहालणी’ री। इण नै केई जिग्यां मुहारणी भी कहीजै। घर रा बूढा बडेरा आपनै कई मुहालणी बता सकै। कांई है आ मुहालणी अर क्यूं महताऊ है ?

जूनै बगत में इस्कूलां में टाबरां नै बिलाठी अर कक्को, जिण नै हिंदी में स्वर अर व्यंजन कैवै, रो ग्यान करावतां थकां हरेक आखर री मुहालणी रटाइजती। मुहालणी उण आखर रो वाक्यां में प्रयोग हो जिको टाबरां रै चेतै रैवतो। वाक्यां रो ओ प्रयोग भोत सरल अर मजेदार होवतो जिणसूं टाबर अेक मनचींती लैण सूं उण आखर नै सावळ पिछाण लेवता। गरूजी मुहालणी बोलता अर टाबर बांरै लार-लारै उण नै बोलता अर रटता। समची वर्णमाळा इण ढाळै टाबरां नै भोत सोरफाई सूं याद हो जावती। इण भणाई नै ‘गुणी’ केवता। लिखणै सूं पैली उण नै याद करणो भणाई रो पैलो नेम हो। पण माडी बात देखो, आज री भणाई में आखर ग्यान री आ सांतरी तजबीज है ई कोनी। हिंदी में तो आज तंई इस्यो काम नीं हो सक्यो।
मुहालणी रा उदाहरण देखो-
अ-आ = आईड़ा-आइड़ा दो भाइडा
ए = एको एकलो
ओ= ओ बैठो ओठियो
औ = दो-दो मात औरणियों

कक्किये री मुहालणीं / मुहारणीं

क = कक्कियो कोड रो, यानी क किसो ? क कोड़ आल़ो/ कोड़ में लागे जाको !
ख = खख्खो खाजूलो
ग=गग्गा गोरी गाय
घ=घघ्घा घाट पिलाने जाय
च= चिड़े चिडी री चूंच
छ =छछिया पिचिया पोटला
ज =जजजा जेर बाणियों
झ=झझ्झा झाड की लाकडी
ट=टट्टिया टट्टिया दो पोड़ी
ठ=ठठिया ठाकर गांठडी
ड= डडडा कूकर पूंछडी
ढ = ढढढा ढेर बाणियों
ण = राणो ताणे तेल / राणों ताणे तीन लाकडी ख् हिंदी में तो श्णश् खाली है
त=तत्तो तत्तूतियो कान को
थ = थथ्थियो थावर
द= ददियो दीवटो
ध= धध्धो धाणक छोडयां जाए
न= आगे नन्नो भाज्यां जाए
प = पप्पा पटकी पाटकी
फ = फफ्फो फालिंगो
ब= बब्बा बेंगण बाड़ी रा / बब्बा बाड़ी बैंगणियाँ
भ = भभ्भा भाभजी भटारको / भभ्भा मूंछ कटारकी
म= मम्मा ले कसारकी
य = यय्या यय्या पाटलो
र = र रा रो रींकलो
ल = लल्ला लल्ला लापसी
व= वव्वा वैंगण वासदे
स =सा‘सा सौलंकी
ष= षषषो खांडको
ह = ह हा हा हिन्दोली / ह हा हां बोल़ो
रू = अड़े तड़े

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