

ग्राम सेतु ब्यूरो.
राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर व अजमेर सहित अन्य दस जिलों में पानी की गुणवत्ता को लेकर बड़ा खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सरकार इस संकट से आंख मूंदे बैठी है। इंदिरा गांधी नहर में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट लगातार गिराया जा रहा है, जिससे पानी में हानिकारक तत्व बढ़ रहे हैं। हालात ये हैं कि जलदाय विभाग की लैब में पानी में भारी धातुओं (हेवी मेटल्स) की जांच के लिए जरूरी मशीन तक नहीं है। इसके लिए दो करोड़ रुपए की जरूरत है, लेकिन सरकार ने अब तक इसे मंजूरी नहीं दी है।
खतरनाक तत्वों की जांच व्यवस्था नहीं
हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, नागौर, जोधपुर समेत दस जिलों में पानी में ज़िंक, लेड, आर्सेनिक और कैडमियम जैसे जहरीले तत्वों की जांच की व्यवस्था नहीं है। इन तत्वों की मौजूदगी से कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
कलेक्टर ने पत्र भेजकर मांगी मशीन
हाल ही में जिला कलेक्टर कानाराम ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर पानी में हेवी मेटल की जांच के लिए जरूरी मशीन की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इंदिरा गांधी नहर में गिरने वाले अपशिष्ट के ट्रीटमेंट के लिए प्लांट की व्यवस्था भी अधूरी पड़ी है। हनुमानगढ़ सहित कई जिलों में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है, जिससे स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है।
पानी में बढ़ते प्रदूषण से चिंता

पानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण से स्थानीय लोग भी चिंतित हैं। जलदाय विभाग की लापरवाही और सरकार की उदासीनता से हजारों लोगों की जिंदगी खतरे में है। अगर जल्द ही समाधान नहीं हुआ तो हालात और बिगड़ सकते हैं। सामाजिक कायकर्ता संदीप मूंड इस गंभीर खतरे को लेकर चिंतित हैं। वे कहते हैं, ‘कलक्टर और जिला परिषद के सीईओ मामले को लेकर गंभीर हैं। कलक्टर ने उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखा है लेकिन अब तक इस पर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।’
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी इस मामले को कई बार उठा चुके हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया तो वे आंदोलन करेंगे। हनुमानगढ़ और आसपास के जिलों के लोग सरकार से इस मुद्दे पर त्वरित समाधान की मांग कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार कब तक इस खतरनाक स्थिति को नजरअंदाज करती है या लोगों की जिंदगी बचाने के लिए ठोस कदम उठाती है।

