
शंकर सोनी.
इतिहास अपने आपको दोहराता भी है। लोकसभा चुनाव परिणाम इस बात की पुष्टि करता है। दरअसल, आपातकाल के पश्चात लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की तानाशाही के विरुद्ध मैंडेट जारी किया था इसी तर्ज पर इस लोक सभा चुनाव में देश को नरेंद्र मोदी की कथित तानाशाही से सुरक्षित रखने के लिये भाजपा को सीमित सीटें दी है। आपातकाल के बाद हुए लोकसभा निर्वाचन में निर्वाचन में भारतीय मतदाता ने नए राजनीतिक गठबंधन (जनता पार्टी) को सत्ता सौंपी परंतु जनता पार्टी के विभिन्न दलों के आपसी मतभेद के कारण यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चल सकी और मध्यावधि चुनाव हुए। इस मध्यावधि निर्वाचन में भारतीय मतदाता ने इंदिरा गांधी को भारी मतदान से सत्ता सौंप कर मजबूत और टिकाऊ सरकार की पसंदगी पर मोहर लगाई।
लगता है, इस दर्ज पर जनता पार्टी की के समय घटित बिखराव की संभावना को ध्यान में रखते हुए भारतीय मतदाता ने इंडिया गठबंधन को भी सरकार बनाने का मौका देना उचित नहीं समझा। इस लोकसभा निर्वाचन की यह विशेष बात रही है कि आम आदमी की सोच संविधान तक पहुंची है। यही नहीं, इस निर्वाचन में भारतीय मतदाता ने धार्मिक विवादों को भी अच्छी तरह से समझ कर ज्यादा महत्व नहीं दिया है। जनादेश इस तरफ इशारा कर रहा कि राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल जनको पसंद नहीं। मतदाताओं को इस निर्वाचन में इस बात का भी एहसास रहा है कि विदेशी ताकतें भारत में राजनीतिक अशांति के लिए राजनीतिक दलों को सहायता कर रही है।
हालांकि महंगाई, बेरोजगारी आदि के मूल मुद्दे आम आदमी के सामने थे। सभी राजनीतिक दलों ने गारंटी के नाम पर नाम पर मुफ्त में रेवड़िया बांटने के सब्जबाग दिखाए परंतु भारतीय मतदाता इससे ज्यादा प्रभावित नहीं रहा और समझदारी से मतदान किया है। राम मंदिर मुहूर्त पर धर्म गुरुओं का अपमान हिंदू मतदाओं को अच्छा नहीं जिसका परिणाम अयोध्या में भाजपा की हार है। रामलला के नाम पर शुरू राजनीति को भी हिंदू मतदाताओं ने स्वीकार नहीं किया और राजनीति में धर्म को नहीं आने देने का मेंडेट दिया।
आगामी आगामी 5 वर्षों में भारतीय राजनीति में कुछ नया दिखाई दे सकता है। आम जनता का ध्यान बेरोजगारी एवं महंगाई जैसे मूल मुद्दों के साथ साथ संवैधानिक अधिकारों पर भी रहेगा। अब सत्ताधारी दल को भी आम जनता के हितों की रक्षा करनी पड़ेगी और विपक्ष को भी आम जनता के प्रति सजग रहना पड़ेगा अन्यथा इन कुंठित व्यवस्था को सुधारने के लिए शीर्ष के प्रतिनिधित को ठुकराकर भारतीय युवा अपने ऐतिहासिक दायित्व को संभालने के लिए हाथ उठाएंगे।
अब हम सभी को धरातल पर आम नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाते हुए सरकार और व्यवस्था में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी अन्यथा ..?
-लेखक नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक हैं