हर जगह सुनाई दे रही है कंगना को मारे ‘चमाट’ की गूंज!

एडवोकेट एमएल शर्मा.
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव जीती अभिनेत्री कंगना रनौत को मारे गए ‘चमाट’ की गूंज हर जगह सुनाई दे रही है। एयरपोर्ट पर सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ की महिला सुरक्षाकर्मी द्वारा मारे गए थप्पड़ पर देशभर में मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आई, लेकिन इनमें भी अधिकतर अभिनेत्री के खिलाफ रही। दरअसल, नवनिर्वाचित सांसद नई दिल्ली में आयोजित बैठक में भाग लेने के लिए आ रही थी। आरोप है कि सुरक्षा जांच के दौरान ही उन्हें तमाचा मारा गया। खलबली मचना स्वाभाविक था। तमाचे का दंश देखिए, महिला सुरक्षाकर्मी कुलविंदर कौर को निलंबित कर दिया गया एवं पुलिस द्वारा प्राथमिक सूचना दर्ज कर ली गई। तमाचे की आरोपी सीआईएसएफ की कुलविंदर कौर ने कहा कि उसे किसान आंदोलन के दौरान कंगना के बयानों से आहत होकर यह कदम उठाना पड़ा। देखा जाए तो इस पूरे मामले के केंद्र में छद्म राजनीति ही नजर आ रही है। अभिनेत्री ने पहले ही चुनाव लड़ने का मानस बना लिया था तो जाहिर है कि उन्हें सुर्खियों की दरकार थी। इसी मंशा को पूरा करने की जद्दोजहद में बिना विचारे अनाप-शनाप बोलने में पहले भी गुरेज नहीं किया और ना ही अब। अपने बयानों से आग उगलने में उस्ताद कंगना रनौत ने किसान आंदोलन से जुड़ी महिलाओं को सौ-सौ रुपए में उपलब्ध बताया तथा आंदोलन में अन्नदाताओं का झंडा पकड़े बैठी बुजुर्ग महिला की तुलना बिलकिस बानों से कर डाली। तो अब तमाचे के बाद सीआईएसएफ जवान को खालिस्तानी बता दिया। इतना ही नहीं, बॉलीवुड से कोई टिप्पणी नहीं आने पर भी एक्ट्रेस खासा नाराज हुई तथा धड़ाधड़ ट्वीट कर नसीहतों के अम्बर शुरू कर दिए। उधर, पंजाब के जीरकपुर निवासी बिजनेसमैन शिवराज सिंह बैंस ने महिला कर्मी कुलविंदर कौर के पंजाब एवं पंजाबियत को बचाने के लिए उनके जज्बे को सलाम किया व बतौर इनाम एक लाख रुपए देने का ऐलान कर दिया। किसान आंदोलन के अगुवा नेताओं ने कुलविंदरकौर का समर्थन करते हुए प्रतिकूल कार्रवाई पर देख लेने की चेतावनी दी है। कुल मिलाकर जिम्मेदार मुख्य मुद्दों पर चुप्पी साधे रखते है व बेवजह टीका टिप्पणी में प्रथम पंक्ति में। मुम्बई में उद्दव ठाकरे कर खिलाफ कंगना ने जहर उगला तो मनाली में बीफ को लेकर बयानबाजी हुई। लेकिन किसान वर्ग का मिजाज नहीं भांप सकी। नतीजन, थप्पड़ कांड से अवाम को नया मसाला मिल गया। अब ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। परंतु इतना तय है कि सियासतदान अब तमाचे की पिच पर बैटिंग, बॉलिंग जरूर करेंगे।
-लेखक पेशे से अधिवक्ता व समसामयिक मसलों पर टिप्पणीकार हैं

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