मिट्टी दी खुशबू: पंजाब दा हर बंदा पंजाबी है

मिट्टी दी खुशबू। जिसे आप दिल की गहराइयों से महसूस करते हैं। ‘ग्राम सेतु’ इस नए कॉलम के साथ हाजिर है। रेडियो स्टार के तौर पर देश ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी खास पहचान रखने वाले महबूब शायर राजेश चड्ढ़ा इस मंच पर आपको पंजाबियत से रूबरू करवाएंगे।
राजेश चड्ढ़ा.
पं
जाबी दुनिया दी पुराणी अते उच्चे सभ्याचार दी विरासतां विचों इक है। इस दी विभिन्नता अते विलखनता पंजाबी कविता, दर्शन, आध्यात्मिकता, शिक्षा, कलात्मकता, संगीत, पकवान, युद्ध, आर्किटेक्चर, परंपरावां अते इतिहास विच साफ़ वेखी जा सकदी है।
पंजाबी साहित्य दी उत्पत्ति नूं 13वीं सदी दे सूफी संत शेख़ फरीद दे रहस्यवादी दोहे अते 14वीं-15वीं सदी विच सिक्ख पंथ नूं स्थापित करन वाले श्री गुरुनानक देव नाल शामिल कीत्ता जा सकदा है।
इस तों बाद शाह हुसैन, सुल्तान बाहु, बुल्ले शाह, वारिस शाह और ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद दी अगुवाई विच पंजाबी सूफ़ी साहित्य दा विकास होया।
असल विच सिक्खी इक धर्म है अते पंजाब विच सिक्ख कोम दे लोग बहुगिणती विच हन। पर पंजाब दा हर बंदा पंजाबी है। पंजाब विच रहण वाले सिख वी पंजाबी हन, हिन्दू वी पंजाबी हन, मुसलमान वी पंजाबी हन अते ईसाई वी पंजाबी हन।
इस बराबरता दे मोढ़ी बाबे नानक दा जज़्बा जदों आधुनिक पंजाबी साहित्य दे अगुवा भाई वीर सिंह तक पहुंचदा है तां पंजाब-पंजाबी अते पंजाबियत नूं सूफ़ियाना लहजा देंदे होए ओ आखदे हन-
की होया ? ते किकन होया ?
खप्प खप्प मरे सयाने
होशां नालों मस्ती चंगी
रखदी सदा ठिकाने

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