माँ: एहसास, शक्ति और संसार

डॉ. एमपी शर्मा.
माँ सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह एक ऐसा भाव है जो जन्म से पहले ही हमारे जीवन में उतर आता है। माँ की ममता, त्याग और निस्वार्थ प्रेम का कोई मोल नहीं। हर धर्म, हर संस्कृति में माँ को सर्वाेच्च स्थान दिया गया है। आइए इस मदर्स डे पर माँ के विभिन्न रूपों और उनके अतुलनीय योगदान को कुछ सजीव उदाहरणों के साथ समझते हैं।
सुभाषचंद्र बोस जैसे देशभक्त को जन्म देने वाली माँ प्रभावती देवी ने बचपन से ही उनमें देशभक्ति, अनुशासन और सेवा भाव भरा। जब बेटा आज़ादी की लड़ाई में घर छोड़कर निकला, तब माँ ने आँसू पीकर उसे आशीर्वाद दिया, यह त्याग ही उनके बेटे को ‘नेताजी’ बना गया।
भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम अपनी माँ को हमेशा याद करते थे, जिन्होंने गरीबी में भी अपने बच्चों को सच्चाई और मेहनत का पाठ पढ़ाया। एक वक़्त का खाना छोड़कर बच्चों का पेट भरना दृ यही होती है माँ।
मेरी कॉम न सिर्फ एक महान मुक्केबाज हैं, बल्कि एक माँ भी हैं। उन्होंने अपने बच्चों की देखभाल के साथ-साथ विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। माँ बनकर भी अपने सपनों को जिंदा रखना और परिवार को संभालना, यही है सशक्त माँ।
गाँव की वह माँ जो दिन-रात खेतों में काम करती है ताकि उसके बच्चे पढ़ सकें। शहर की वह कामकाजी माँ जो ऑफिस के बाद भी बच्चों के होमवर्क में साथ देती है। या वह अकेली माँ जो समाज की परवाह किए बिना अपने बच्चों को पालती है दृ हर माँ एक मिसाल है।
माँ से क्या सीखें?
बना शर्त प्रेम देना, कभी हार न मानना, हर परिस्थिति में धैर्य रखना, दूसरों को पहले रखना, बिना थके सेवा करते रहना।
इस मदर्स डे पर क्या करें?
अपनी माँ को एक चिट्ठी लिखें, दिल से। थोड़ा समय सिर्फ माँ के साथ बिताएँं। उनका हाथ पकड़ कर सिर्फ “धन्यवाद” कहें। कोई पुरानी तस्वीर निकालें और उनके साथ स्मृतियों को जीएँ। अगर माँ इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनके नाम पर किसी जरूरतमंद की मदद करें।
अंत में, माँ वो जड़ है, जिससे जीवन की शाखाएँ निकलती हैं। माँ वो रौशनी है, जिससे हर अंधकार मिटता है। इस मदर्स डे पर हम सब मिलकर कहें, ‘धन्यवाद माँ, हमें इंसान बनाने के लिए।’
-लेखक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं

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