‘कागद’ के बिना अधूरी रहेगी राजस्थानी भाषा पर चर्चा, क्यों बोले साहित्यप्रेमी ?

ग्राम सेतु साहित्य डेस्क.
राजस्थान के सुविख्यात साहित्यकार ओम पुरोहित ‘कागद’ मुकम्मल इंसान थे। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे जितने बड़े कवि, लेखक, शिक्षक और चिंतक थे, उससे भी बेहतर एक नेक इंसान भी थे। जब भी राजस्थानी भाषा पर चर्चा होगी, कागद का जिक्र जरूर होगा, उनके बिना चर्चा अधूरी ही रहेगी। यह बात बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में हुए कार्यक्रम में वक्ताओं ने कही। ओम पुरोहित कागद स्मृति साहित्यकार सम्मान समारोह में कागदप्रेमी लंबे समय तक ‘कागद कथा’ में खोए रहे। सभागार में न उन्हें गर्मी का अहसास हो रहा था और न ही भूख और प्यास का अनुभव हो रहा था। करीब पौने तीन घंटे तक चले कार्यक्रम में कागद प्रेमी जमे रहे। मंच से जब वक्ता कागद से जुड़े संस्मरण सुनाते तो श्रोताओं की आंखें बार-बार नम हो उठतीं। विछोह को सहन करना संभव नहीं हो पा रहा था।


कागद फाउंडेशन के तत्वावधान में हुए समारोह की अध्यक्षता फाउंडेशन अध्यक्ष भगवती पुरोहित ने की। मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ के विधायक गणेशराज बंसल थे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर बीकानेर के विधायक जेठानंद व्यास, नगरपरिषद सभापति सुमित रणवां, भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र पारीक, शिक्षाविद् डॉ अन्ना राम शर्मा, राजस्थान प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष तरूण विजय, भाजपा नेता प्रकाश तंवर व पूर्व पार्षद गौरव जैन ने शिरकत की। सभी ने दिवंगत साहित्यकार ओम पुरोहित कागद के हिन्दी व राजस्थानी साहित्य में दिए गए योगदान को याद कर पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही नए कवियों को प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाने को लेकर किए गए ‘कागद’ के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। साहित्य प्रेमियों एवं साहित्यकारों ने ‘कागद’ से जुड़े संस्मरण सुनाए।
वक्ताओं ने कहा कि जब तक मायड़ भाषा के प्रेमी रहेंगे तब तक कागद जिंदा रहेंगे। विधायक गणेशराज बंसल ने कहाकि हमें खुशी है कि कागदजी हनुमानगढ़ के थे। हनुमानगढ़ में साहित्य के क्षेत्र में बेहतर काम हो रहा है। निश्चित रूप से कागदजी ने नए साहित्यकारों को खूब प्रोत्साहित किया। जिसका परिणाम आज नजर आ रहा है।
विधायक जेठा राम व्यास ने कहा किसी साहित्यकार को याद करने का यह सबसे उत्तम तरीका है कि उनकी पुण्यतिथि पर ऐसे आयोजन किए जाए। उन्होंने कागद फाउंडेशन की पहल को सराहा और संस्था को हरसंभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया।
वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन ने ओम पुरोहित कागद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भरत ओला ने कहाकि कागद की लेखनी से कभी यह महसूस नहीं हुआ कि वे जनवादी कवि नहीं हैं। यही उनकी खासियत थी। कवि डॉ संदेश त्यागी, अरुण शहरिया व कृष्ण कुमार आशू ने कागद की कविताओं का पाठ किया। भारती पुरोहित व अंकिता पुरोहित ने कविता के जरिए कागद को याद किया। मंच संचालन कवि राजेश चड्ढ़ा ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा, शिक्षाविद् डॉ. संतोष राजपुरोहित, पूर्व उपसभापति कालूराम शर्मा, शिक्षाविद् राज तिवाड़ी, श्याम सुंदर मेहन, कवि मोहन लाल वर्मा, सुनील ज्याणी, मीनल आदि मौजूद रहे। फाउंडेशन अध्यक्ष भगवती पुरोहित ने आभार व्यक्त किया।
इनका हुआ सम्मान
समारोह में हिन्दी साहित्य के लिए श्रीगंगानगर की साहित्यकार डॉ नवज्योत भनोत, राजस्थानी साहित्य के लिए सूरतगढ़ के मनोज स्वामी और नवोदित साहित्यकार के तौर पर चूरू के युवा कवि मनमीत सोनी को कागद सम्मान 2024 से नवाजा गया। विधायक गणेशराज बंसल, विधायक जेठानंद व्यास, शिक्षाविद् डॉ. अन्नाराम शर्मा व कागद फाउंडेशन की अध्यक्षत भगवती देवी पुरोहित ने महासचिव नरेश मेहन के साथ साहित्यकारों को सम्मानित किया।

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