



ग्राम सेतु ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी एथनॉल फैक्ट्री विवाद को लेकर किसान आंदोलन एक बार फिर तेज हहोने जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 17 दिसंबर को हनुमानगढ़ जिला कलेक्ट्रेट पर बड़े स्तर पर पड़ाव डालने की घोषणा की है। इसी क्रम में रविवार को किसान नेता मंगेज चौधरी और जगजीत सिंह जगी ने गांव नंदराम की ढाणी, झामर में किसानों को संबोधित किया और अधिक से अधिक संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचने का आह्वान किया। सभा में किसानों ने साफ शब्दों में कहा कि इस आंदोलन में केवल किसान ही नहीं, बल्कि भारी संख्या में माता-बहनें भी भाग लेंगी। नेताओं ने बताया कि आंदोलन को सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से अलग-अलग जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं। 15 और 16 दिसंबर को जिले के गांव-गांव जाकर नुक्कड़ सभाएं और जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा, ताकि अधिकतम किसानों को 17 दिसंबर के कार्यक्रम से जोड़ा जा सके।

तैयारी के तहत टिब्बी क्षेत्र में मंगेज चौधरी, जगजीत सिंह जगी, मदन दुगेसर और रवि जोसन गांवों का दौरा करेंगे। हनुमानगढ़ क्षेत्र में बलवान पूनिया, रेशम मानुका और रघुवीर वर्मा जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं संगरिया में ओम जांगू और रमेश भादू, पीलीबंगा में चरनजीत बराड़ और गोपाल बिश्नोई, जबकि नोहर और भादरा क्षेत्र में किसान सभा से जुड़े साथी नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से आंदोलन की तैयारियों को अंतिम रूप देंगे। सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता मंगेज चौधरी ने कहा कि प्रशासन की ओर से अब तक किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने मांगें नहीं मानीं तो 17 दिसंबर को किसान कलेक्ट्रेट पर पड़ाव डालेंगे और जब तक फैक्ट्री का एमओयू रद्द नहीं किया जाता तथा किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होते, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
मंगेज चौधरी ने दावा किया कि 17 दिसंबर को करीब 20 हजार किसान और ग्रामीण हनुमानगढ़ पहुंचेंगे। आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को लेकर भी रणनीति बनाई गई है, ताकि यह आंदोलन केवल धरना-प्रदर्शन तक सीमित न रहे, बल्कि जनआंदोलन का रूप ले सके।

सभा में मौजूद किसानों ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई केवल एक फैक्ट्री या एक फैसले के खिलाफ नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की जमीन, पानी और पर्यावरण को बचाने की लड़ाई है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि टकराव की स्थिति पैदा करने के बजाय बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाए, अन्यथा आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।

