स्मृतियों में अमर रहेंगी शारदा

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गोपाल झा.
पूर्वांचल का लोक संगीत शोकाकुल है। सुर बेसुरे हो गए हैं। संगीतप्रेमियों के नयन नीर से भरे हैं। वजह साफ है। स्वर कोकिला शारदा सिन्हा परलोक के लिए प्रस्थान कर चुकी हैं। चिर निद्रा में लीन। पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार ही क्यों, समूचा देश सदमे में है। शारदा सिन्हा के गाए गीतों के बिना बिहार और पूर्वी यूपी में कोई शुभ कार्य संपन्न हो ही नहीं सकते। मुण्डन हो या उपनयन संस्कार या फिर विवाह। शारदा सिन्हा के गाए गीत उत्सव को जीवंत करे देते हैं। बाकी पर्व त्योहारों का तो कहना ही क्या। छठ और शारदा सिन्हा। परस्पर पूरक। दुनिया भर में जहां भी छठ मनाए जाते हैं, घाट पर स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के गीत सुनाई देंगे।


शारदा सिन्हा की आवाज में अजीब तरह की कशिश थी। सम्मोहन था। सुकून था। जैसे वे मैथिली, भोजपुरी और मगही गीतों के लिए ही बनी हों। बेशक, शारदा सिन्हा ने पूर्वांचल की समृद्ध संस्कृति और लोक परंपराओं को प्रसिद्धि दिलाई। बॉलीवुड की फिल्मों में भी उन्हें गीत गाने का मौका मिला। भले वह ‘मैंने प्यार किया’ हो या फिर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-टू’ अथवा ‘हम आपके हैं कौन’ फिल्म हो। उनकी तिलिस्मी आवाज ने फिल्मों के उन दृश्यों को जीवंत कर दिया।
शारदा सिन्हा प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं। उन्होंने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। समस्तीपुर में अध्यापन किया। यही वजह है कि उन्होंने कभी प्रसिद्धि पाने के लिए द्विअर्थी गीतों का सहारा नहीं लिया। उनके गाए गीतों में मूल्य आधारित जीवन है, नारी की विरह वेदना है, गर्व करने वाली परंपराएं हैं, रीति-रिवाज हैं, मेहनतकशों की पीड़ा है, समाजवाद है, ठेठ ग्रामीण अंदाज है या यूं कहिए कि मिट्टी की खुशबू है।
बिहार के सुपौल में जन्मीं शारदा सिन्हा का ससुराल बेगुसराय है। ‘पद्श्री’ व ‘पद्मभूषण’, सम्मान से विभुषित शारदा जी के पति का इसी साल निधन हो गया था। वे खुद कैंसर से पीड़ित थीं। संयोग है, छठ पर्व को अपने सुरीले और भावपूर्ण गीतों से लोकप्रिय बनाने वालीं शारदा सिन्हा छठ महोत्सव के प्रथम दिन ही देवलोक के लिए प्रस्थान कर गईं। निःसंदेह, हम सबने लोक गीतों व समृद्ध परंपराओं को शिखर तक पहुंचाने वालीं स्वर कोकिला व महान शिक्षक खो दिया है। शरीर भले साथ न हों लेकिन अपने सुमधुर स्वर के जरिए शारदा जी सैदव हमारे दिलों में विराजमान रहेंगी। इनका विसर्जन संभव नहीं।
-लेखक भटनेर पोस्ट मीडिया ग्रुप के चीफ एडिटर हैं

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