खतरनाक हो सकता है खर्राटा, जानिए… खर्राटे का विज्ञान!

डॉ. एमपी शर्मा.
रात के सन्नाटे में गूंजते खर्राटे अक्सर हँसी का कारण बनते हैं। ‘अरे, ये तो ट्रेन की तरह खर्राटे मारता है!’ लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये खर्राटे किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं? जी हाँ, खर्राटे कई बार स्लीप एपनिया नामक नींद से जुड़ी एक खतरनाक समस्या की दस्तक होते हैं, जो आपके दिल, दिमाग और जीवन की संपूर्ण गुणवत्ता पर असर डाल सकती है। अगर खर्राटे ज़ोरदार हों, बार-बार सांस रुकने की स्थिति के साथ हों और दिनभर थकान या चिड़चिड़ापन महसूस हो तो यह हँसी नहीं, गंभीर चिकित्सा परामर्श की मांग करता है।
जब हम गहरी नींद में होते हैं, तब गले की मांसपेशियाँ शिथिल हो जाती हैं। इससे वायुमार्ग संकुचित हो जाता है और जैसे ही हवा वहां से गुजरती है, कंपन पैदा होता है, जो आवाज़ बन जाता है खर्राटों की। कई बार यह सामान्य हो सकता है, लेकिन जब यह बार-बार हो, बहुत ज़ोरदार हो और इसके साथ सांस का रुकना भी हो, तो यह स्थिति ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो सकती है। यह रोग नींद के दौरान बार-बार सांस रुकने की स्थिति पैदा करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इसके अन्य प्रकारों में सेंट्रल स्लीप एपनिया शामिल है, जिसमें दिमाग सांस लेने का संकेत नहीं देता और मिक्स्ड एपनिया जो दोनों का मिला-जुला रूप है। यह स्थिति मोटे व्यक्तियों, 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, मोटी गर्दन वालों, मुँह खोलकर सोने वालों, धूम्रपान/शराब सेवन करने वालों और उच्च रक्तचाप या डायबिटीज़ से ग्रस्त लोगों में अधिक देखी जाती है।


सिर्फ़ खर्राटे नहीं, जीवन की चेतावनी!
अगर आपके खर्राटों के साथ ये लक्षण जुड़ रहे हैं। जैसे रात में सांस रुकना (परिजन नोट करें), बार-बार नींद खुलना, दिनभर थकान, एकाग्रता में कमी, सुबह-सुबह सिरदर्द, मुँह सूखना या गले में खराश तो यह समय है सतर्क होने का। स्लीप एपनिया का निदान होम स्लीप स्टडी, पोलिसोमनोग्राफी जैसे परीक्षणों द्वारा किया जाता है, जो नींद के दौरान शरीर की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इलाज में सबसे पहले वजन कम करना, पीठ के बल सोने से बचना, शराब और नींद की दवाओं से दूर रहना और एक नियमित नींद समय तय करना शामिल है। यदि ये उपाय पर्याप्त न हों, तो सीपीएपी नामक मशीन के जरिए नाक पर मास्क लगाकर वायुमार्ग को खुला रखा जाता है, माउथ गार्ड से जबड़े को आगे खिसकाया जाता है, और गंभीर मामलों में जबड़े की हड्डी की सर्जरी भी की जाती है। अब एक नया इम्प्लांटेबल डिवाइस भी आ चुका है, जो सांस के दौरान गले की मांसपेशियों को सक्रिय करता है और वायुमार्ग को खुला रखता है।


इलाज नहीं लिया तो हो सकता है नुकसान!
अगर स्लीप एपनिया को नजरअंदाज किया गया, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 डायबिटीज़, ड्राइविंग के दौरान दुर्घटनाएं, डिप्रेशन और यहां तक कि मेमोरी लॉस तक। ज़रा सोचिए, एक रात की खर्राटों वाली नींद, आपके पूरे जीवन की शांति छीन सकती है! इसलिए अगली बार जब कोई जोर से खर्राटे लेता दिखे, तो मज़ाक न उड़ाएं, बल्कि उससे कहें, ‘डॉक्टर से ज़रूर मिलो!’ नींद की गड़बड़ी केवल एक रात का मामला नहीं है, यह जीवन की डोर भी उलझा सकती है। और हां, ध्यान रखिए, अच्छी नींद, अच्छे स्वास्थ्य की बुनियाद है।
-लेखक सुविख्यात सीनियर सर्जन और आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं

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